रायसेन। जिले की रेत खदानों पर माइनिंग विभाग के अफसर अमले और सत्ताधारी सरकार के नेताओं की मिलीभगत से रेत माफिया रेत खदानों से जमकर कर रहे हो अवैध उत्खनन। वहीं इस रेत के खेल में लाखों रुपए महीने रेत माफिया कमा रहे हैं। वहीं खनिज विभाग को रॉयल्टी राजस्व की लाखों रुपये की हर महीने नुकसान हो रहा है। जिले की नर्मदा नदी की रेत खदानें अवैध रेत उत्खनन की गढ़ बन चुकी हैं। इस बार रेत का ठेका हैदराबाद की एक कंपनी को दिया गया है।इसके अलावा रेत खनन माफिया गिरोह रेत खदानों से जहां मर्जी पड़े रेत की खुदाई कर जमकर कमाई करने में जुटे हुए हैं।जिले की कैलकच्छ, देवरी चौरास, बोरास उदयपुरा, मांगरोल पतई बगलवाड़ा अलीगंज बरेली केतोघान खरगोन ,गौरा मच्छवाई, मदागन घाट बाड़ी नर्मदा नदी रेत खदानों पर बेरोकटोक अवैध रेत उत्खनन करते हैं।इनके अवैध रेत उत्खनन को रोकने के लिए न तो स्थानीय पुलिस राजस्व विभाग के अधिकारी धरपकड़ की कार्रवाई करते और न ही खनिज विभाग के अधिकारी सुध लेते।जिससे उनके हौंसले बुलंद हैं।इसीलिए रेत माफिया गिरोह तमाम नियम कायदों को ताक पर रखकर लामबन्द होकर बेखौफ होकर जेसीबी मशीन से रेत की खुदाई कर बगैर किसी रायल्टी के वाहनों से परिवहन करते हुए नजर आ रहे हैं।नर्मदा नदी के बफर जोन का भी वह कोई ख्याल नहीं रखते।जिले के उक्त क्षेत्रों में सबसे ज्यादा रेत की धड़ल्ले से दिन रात खुदाई इन दिनों जमकर हो रही है।लेकिन खनिज विभाग के आला अफसर दफ्तर से बाहर जाने की कोशिश तक नहीं करते।रेत माफियाओं की दबंगई इस कदर हावी है कि वह तमाम नियम कायदों को ताक पर रखकर नर्मदा नदी की बहती धार में जेसीबी मशीनें खड़ी कर नदी का सीना चीर कर रेत एकत्रित करने में दिनरात जुटे रहते हैं।