Sudarshan Today
मध्य प्रदेश

नही रहे सीतानगर की बड़ी शाला के महंत

दमोह

लोगो की आंखे नम,केंद्रीय मंत्री सहित दिग्गजों ने जताया दुख

दमोह जिले के विख्यात धर्म गुरु और महंत हरिप्रपन्नदास जी महराज ने आज अंतिम सांस ली और उनके निधन के बाद शोक की लहर छा गई है। दमोह जिले के प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र मडकोलेशर धाम के नजदीक सीतानगर की बड़ी शाला के महंत हरि प्रपत्र दास जी महराज इलाके की धार्मिक चेतना का जाना माना नाम रहे और आज लंबी बीमारी के बाद 85 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। महंत जी ने करीब सात दशकों तक धर्म जगत की सेवा करने के साथ न सिर्फ दमोह बल्कि पूरे प्रदेश में अपना अलग स्थान बनाया था। सीतानगर के प्राचीन मंदिर और शाला में धार्मिक आयोजनों में प्रमुख भूमिका निभाने वाले महंत ने अयोध्या के राम मंदिर निर्माण की लड़ाईं में भी हिस्सा लिया। महंत जी के निधन के बाद चारो तरफ शोक की लहर व्याप्त है।  केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल ने संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा है कि महंत जी की चैतन्यता के वे सदैव कायल रहे हैं उम्र के इस पड़ाव में भी वो धार्मिक गतिविधयों में जिस निष्ठा के साथ शामिल होते थे वो देखने लायक थी। उनका हम सब को छोड़कर जाना न सिर्फ धार्मिक जगत के लिए बल्कि राष्ट्र और समाज के लिए बड़ी क्षति है। दमोह से कांग्रेस विधायक अजय टण्डन ने कहा है कि महंत जी उनके परिवार के मार्गदर्शक थे लंबे समय से उंस जुड़ाव रहा और हर अच्छे बुरे वक्त में उन्होंने सम्बल दिया, परिवार में उनका आशीर्वाद ही था जो सद्कार्य करने प्रेरित करता रहा। समाज के लिए उन्होंने जो किया वो कभी भुलाया नही का सकता। वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार नरेंद्र दुबे ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा है कि महंत जी ने सदैव धर्म ध्वजा लेकर राष्टंकल्याण की भावना को लोगो के अंदर पैदा किया उनकी सहजता सरलता और मृदुभाषिता ने उनके व्यक्तित्व और बड़ा बनाया और यही वजह है कि उनको चाहने और मानने वालों की फेहरिस्त बड़ी है , उनका देवलोकगमन समाज के लिए बड़ी क्षति है जिसकी भरपाई सम्भव नही है। महंत जी के परमं शिष्यों में से एक टण्डन पेट्रोल पंप के संचालक अजुन टण्डन ने अपने पूज्य गुरुदेव को श्रध्दा सुमन अर्पित करते हुए कहा है कि उनके जीवन से बड़ा साया उठ गया है, महंत जी न सिर्फ उनके धर्म गुरु थे बल्कि उनके और परिवार के अहम हिस्सा भी थे जिनके मार्गदर्शन और कृपा से वो सब आगे बढ़ रहे थे, महराज जी के कैलासवासी होने के बाद परिवार में रिक्तता आएगी और वो सब इसकी भरपाई नही कर पाएंगे। दमोह के समाजसेवी और पत्रकार महेंद्र दुबे ने शोक संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि मैं उन भाग्यशाली लोगो मे से हूं जिन्हें पूज्य महंत जी का आशीर्वाद बचपन से मिला, एक धर्म गुरु की भूमिका से परे महंत जी ने बच्चो जैसा लाड़ दुलार दिया और उनके सामने मुझे भी लगता था जैसे में आज भी दो साल का बच्चा ही हूँ। महंत जी का जाना बड़ी क्षति है, और उनका धर्म जगत को दिया योगदान कभी भुलाया नही जा सकता।

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