Sudarshan Today
मध्य प्रदेश

झिरन्या ग्राम में गंदगी का अंबार फैल सकती है जानलेवा बीमारियां

 सुदर्शन टुडे संवाददाता शिवशंकर राठौर

झिरन्या।ग्राम पंचायत का सफाई की ओर कोई ध्यान नहीं है झिरनिया ग्राम पंचायत में हर मोहल्ले वार्ड में आपको कहीं ना कहीं कुड़ा कचरा देखने को मिल जाएगा साथ ही गंदी नालियों का पानी भी बीच रोड पर तथा सार्वजनिक स्थानों पर एकत्रित हुआ मिल जाएगा क्योंकि ग्राम पंचायत में जवाबदार लोगों का इसऔर कोई ध्यान नहीं है वर्ष 2008 में ग्राम पंचायत को निर्मल ग्राम पुरस्कार प्राप्त हो चुका है केंद्र सरकार ने निर्मल भारत अभियान अंतरगत निर्मलग्राम पुरुसकार योजना लागू की थी जिसमें ग्राम पंचायत को निर्मल ग्राम बनाने के लिए कोई अतिरिक्त फंड मुहईया नहीं कराया गया था केवल ग्राम पंचायत को चिन्हित किया गया था कि अगर यह चिन्हित ग्राम पंचायत के पदाधिकारी अगर निर्मल भारत अभियान के अंतर्गत अपनी ग्राम पंचायत को निर्मल बनाते हैं तो ग्राम पंचायत को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा इसी कड़ी में ग्राम पंचायत झिरनियां के पूर्व सरपंच विजेन्द्र सिंह सिसोदिया द्वारा अथक प्रयास करके ग्राम पंचायत को निर्मल ग्राम राषृटपति पुरस्कार से सम्मानित कराया गया लेकिन दुर्भाग्य इस ग्राम पंचायत का है की निर्मल ग्राम पुरस्कार मिलने के बाद ग्राम पंचायत को उज्जवल ग्राम सजल ग्राम बनाना था एवं वर्तमान में स्वच्छ ग्राम भी बनाना है लेकिन निर्मल ग्राम के बाद पंचायत में बैठे जवाबदार लोगों ने ना तो उज्जवल ग्राम पर काम किया ना सजल ग्राम पर काम किया और ना ही अब स्वच्छ ग्राम के लिए कोई काम किया जा रहा है जबकि निर्मल ग्राम होने के बाद ग्राम पंचायत को स्वच्छ भारत के अंतर्गत लाखों रुपए की राशि भी प्राप्त होती है निर्मल ग्राम बनाते समय केवल बीपीएल परिवार वालों को अपने घर में शौचालय निर्माण करने पर ₹1200 की पुरस्कार राशि देने का प्रावधान था बाकी गांव में नाली खरंजा साफ-सफाई स्वच्छता के लिए मूल भूत की राशि से ही कार्य करना होते थे लेकिन आज स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत सुलभ शौचालय स्वच्छता परिसर के साथ ही अब ऐसे परिवार एपीएल बीपीएल जिनके परिवार में शौचालय नहीं है उन्हें सभी के लिए ₹12000 की राशि अपने घर पर शौचालय निर्माण करने पर उपलब्ध कराई जाती है ग्राम पंचायत झिरन्या में दो-दो वहान तथा ट्रैक्टरों से कचरा एकत्रित करने पर लाखों रुपया खर्च किया जा रहा है लेकिन आपको ग्राम झिरन्या में हर मोहल्ले में कहीं ना कहीं कुड़े कचरे के ढेर तथा गंदे पानी के दर्शन हो जाएंगे क्योंकि ग्राम पंचायत में विगत 13 वर्षों से ना तो कोई स्वच्छता के ऊपर मीटिंग ना ही कोई मोटिवेशन का कार्य कराया है और ना ही इनकी कोई रुचि है क्योंकि स्वच्छता के लिए प्रत्येक परिवार को मोटिवेशन के साथ ही गांव में एक टीम तैयार करना होती है जो स्वच्छता के प्रति आम जनता को प्रेरित करें और ग्राम पंचायत में अनेक जगह कूड़े कचरे के ढेर का कारण एक यह भी है कि ना तो ग्राम पंचायत ने अभी तक कोई चौराहे पर डस्टबिन की व्यवस्था करी है कि अगर कचरा गाड़ी समय पर नहीं आए तो लोग मोहल्लेवासी कुड़ा कचरा कहां डालें जब गाड़ी नहीं आती है तो ग्रामवासी कूड़ा कचरा रोड पर ही फेंक देते हैं और दुकानदार सुबह से उठकर अपनी दुकानों के सामने झाड़ू लगाकर कचरे को जला देते हैं जबकि कचरे को जलाना भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ग्राम पंचायत अगर गांव में गंदगी फैलाने वाले रोड पर कूड़ा कचरा नाली में कूड़ा कचरा फेंकने वालों पर कोई दंडात्मक कार्रवाई करे तथा सफाई कृमचारी बढ़ाकर उनको उचित मानदेय दे तो भी सुधार हो सकता है लेकिन ग्राम पंचायत में आज तक ना तो गांव में गंदगी फैलाने वालों के प्रति कोई कठोर कार्रवाई की है और ना ही स्वयं की रुचि है अगर ग्राम पंचायत चाहे तो निर्मल ग्राम को स्वच्छ ग्राम बना सकती है लेकिन उज्जवल ग्राम सजल ग्राम स्वच्छ ग्राम बनाना तो दूर ग्राम पंचायत को निर्मल ग्राम भी नहीं रहने दिया है इस पूरे निर्मल ग्राम को बनाने में स्वच्छता विशेषज्ञ समाजसेवी ठाकुर जितेन्द्र सिंह तोमर का विशेष योगदान रहा था समाजसेवी ठाकुर जितेंद्र सिंह तोमर वर्ष 1995 से स्वच्छता के क्षेत्र में निस्वार्थ भाव से अपनी सेवाएं दे रहे हैं स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर स्वच्छता से जुड़े कर्मचारियों अधिकारियों ने भी काफी भ्रष्टाचार किया है उनको भी इस मिशन से कोई लेना-देना नहीं है जब सरकार की ओर से स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत फंड आया और उसे फंड के माध्यम से स्वच्छाग्रही प्रेरकों की नियुक्ति करके उन्हें मानदेय देना था लेकिन जनपद पंचायत झिरनिया में बैठे उच्च अधिकारी एवं स्वच्छ भारत मिशन से जुड़े कर्मचारियों ने महज उस फंड को कागजों पर खर्च कर डाला अगर जनपद पंचायत में बैठे उच्च अधिकारी अगर ईस और ध्यान देते तो आज ग्राम पंचायत झिरन्या सहित अन्य ग्राम पंचायत की भी दशा सुधर सकती है

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