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Bhorasa

भौंरासा नगर में निभाई गई अनूठी परंपरा तेज बारिश के बीच भी निकले ढोल बारिश भी नहीं रोक सकी लोगों का उत्साह

भोरासा में भगवान के डोल के आगे होता हे उनुठा नृत्य आश्चर्य यह हे की बे मोसम डोलो के साथ कच्ची केरिया नजर आती हे।

 

भौंरासा डोल ग्यारस पर श्रृंगारित डोल में बाल गोपाल सवार होकर निकले तो मानो पूरा नगर में हर्षोउल्लास के साथ मनोरंजित हो गया महिलाये बालकृष्ण की पूजा कर परिवार की सुख समृध्दी की कामना करती हे नगर के विभिन्न मंदिरों से डोल के रूप में भगवान बालकृष्ण कि झाॅकी गणेश चौक से होते हुए हनुमान मार्ग के बाद संत तुलसी मार्ग से बाद पुरानी कचहरी सरस्वती शिशु मंदिर परिसर पर पहुची जहा पर सभी डोल एकत्रित हुए यहा पर नगर के वसूली पटेल यशवंतसिंह  राजपूत नगर, नगर पुरोहित संजय जोशी अध्यक्ष नगर परिषद भौंरासा, परसाई महाराज मनोज जोशी, उपाध्यक्ष जयसिंह राणा, नायब तहसीलदार दीपिका परमार, सीएमओ सविता सोनी, थाना प्रभारी संजय रावत, पटवारी सचदेव रावत व नगर के सभी गणमान्य नागरिकों ने सभी डोलो की पूजा कर नगर में सुख शान्ती के लिए भगवान से प्राथना की यहाॅं पर विधायक प्रतिनिधि राजेंद्र यादव, पार्षद छोटेलाल लोधी, धर्मेंद्र ठाकुर, सुरेश मालवीय, विनोद डोडीया, सचिन यादव व सभी नागरिकों द्वारा सभी समाज के डोल के साथ उनके समाज अध्यक्ष व मंदिर पुजारीयों को साफा बांध कर व पुष्पमाला पहनाकर स्वागत किया गया । इसके बाद  सभी डोल एक एक कर नगर के भ्रमण पर निकले जहाॅ पर भगवान के डोलो के आगे नृत्यांगना की तरह पुरूष महिलाओ के भेष में नृत्य करते जा रहे थे जिसे देखने पूरे नगर से लोगो का हुजुम उमड़ पड़ा यह नृत्यांगना भजनो के साथ फिल्मी गानो पर भी थिरकते हुए नजर आए ओर इसी के साथ लोगो का मनोरंजन करते हुए देखे गए वही माली समाज के डोल में उभरते गायक आयुष माली की पूरी टीम के द्वारा भगवान कृष्ण के भजन गाए जा रहे थे जिन्हे सुनने हेतु लोग डोल के साथ साथ चलते रहे वही नगर के वरिष्ठ व वृध नागरिको का कहना हे की नृत्य की यह अनूठी परम्परा जागीरी से चली आ रही हे पहले सरदार आंग्रे के समय में मुस्तर बाई नृत्यांगना थी जो इसी तरह डोलो के आगे नृत्य किया करती थी ओर सरदार आंग्रे इनका नृत्य देख खुश होकर बकशिस दिया करते थे जबसे ही यह परम्परा चली आ रही हे इसी परम्परा का निर्वाह करते हुए हर सामज द्वारा नगर में डोल निकाला जाता हे जिसके सामने नृत्य करने वाले को समाज समितीयो द्वारा इसका मेहनताना दिया जाता हे । यहा डोल यादव अहिर, कुमावत, ठाकुर, माली, मालवीय समाजो व आदि समाजो के डोल निकलते हे। इसी तरह नगर के प्रमुख मार्गो से होते हुए घाट पर पहुचते हे जहा पूजन अर्चन के साथ नदी में भगवान का स्नान करया जाता है। इसके पश्चात इन डोलो की नगर वासियो महिलाओं के द्वारा गोद भरकर पूजा अर्चना की जाती हे डोल ग्यारस को भगवान कृष्ण के जलवा पूजन से जोड़ कर देखा जाता हे इस दिन भगवान को झूले में बिठाकर विभिन्न मंदिरो से भ्रमण कराया जाता हे श्री कृष्ण को झूला देकर संतान ओर परिवार की सुख समृध्दी की कामना की जाती हे। नगर भौंरासा के डोलो की आश्चर्य चकित बात यह हे की इन डोलो में भगवान के साथ आम की कच्ची केरिया दिखाई देती हे जो इस मोसम में होना आश्चर्य की बात भी हे नगर परिषद द्वारा पूरे नगर में इस अवसर पर विद्युत सज्जा भी की जाती है वही पुलिस प्रसाशन भी पूरी तरह मुस्तेद रहता है नगर मैं जगह-जगह  सभी मंदिरो के डोल का स्वागत किया गया जिसमें सभी समाज जन उपस्थित थे ।

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