माता पार्वती की शिव जी को पाने की तपस्या से शुरू हुआ हरतालिका तीज
पीथमपुर। हरतालिका तीज पूरे श्रद्धाभाव के साथ मनाया गया। महिलाओं ने अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखा है। शाम को भगवान गणेशजी, शिव व पार्वती की पूजा के साथ फुलेरा बांध पूजन कर रात्रि जागरण कर भजन कीर्तन करते हुए व्रत किया। हरितालिका तीज पर्व पर महिलाओं में खासा उत्साह देखा गया। नगर में सुबह से फूलों और मिठाई की दुकानों पर भीड़ नजर आई। व्रत के विषय में जानकारी देते हुए सविता दशरथ अतुलकर ने बताया की दाम्पत्य जीवन को सुखी बनाने के लिए शिव-पार्वती की पूजा करना उत्तम माना गया है। सुहागिन महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य की कामना एवं कुंवारी कन्याए अच्छे वर के लिए हरितालिका व्रत करती हैं। फुलेरा बनाकर शिव-पार्वती और गणेश की प्रतिमा पर तिलक करके दूर्वा अर्पित कर भगवान शिव को फूल, बिल्वपत्र व शमीपत्री अर्पित कर और माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करती है। तीनों देवताओं को वस्त्र अर्पित करने के बाद हरतालिका तीज व्रत कथा का श्रवण किया गया। भजन गाते हुए रात्रि जागरण में व्रतधारी महिलाएं भगवान शिव की पांच बार आरती करती हैं। इसके बाद श्री गणेश की आरती और भगवान शिव व माता पार्वती की आरती उतारने के बाद विभिन्ना प्रकार के पकवानों का भोग लगाया गया। वही रेखा सत्यप्रकाश निरापुरे बताती है की इस व्रत को हर तालिका इसलिए कहा जाता है क्योंकि पार्वती की सखी उनके पिता को बगैर बताए हरकर जंगल में ले गई थीं। हरित अर्थात हरण करना और तालिका अर्थात सखी। पार्वती जी भगवान शिव को पति के रूप में चाहती थीं। भगवान शिव ने पार्वती के व्रत से प्रसन्न होकर वर मांगने के लिए कहा। पार्वती ने वर के रूप में शिव जी को मांग लिया। शिव ने तथास्तु कहकर पार्वती को यह वरदान दे दिया की वही उनके वर होंगे और उनका विवाह उनके साथ ही होंगा।।