रेत माफियाओ के मन माने दामो को कम कराने मे कांग्रेस के दोनो अध्यक्षों की भूमिका महत्वपूर्ण है
सुदर्शन टुडे समाचार जिला ब्यूरो चीफ रामेशवर लक्षणे बैतूल
बैतुल – इन दिनों बैतूल जिले में कांग्रेस के दो अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर तरह-तरह की अटकले बजार लगाकर दो फड का नाम दिया जा रहा हैं । उसी चर्चाओं को अब बड़े स्तर पर गुटबाजी के नाम से कहा जाने लगा है। इस विषय पर जिला कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी ने कहा है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष कमलनाथ ने बैतूल जिले मे दो अध्यक्षों की नियुक्ति करके मध्यप्रदेश में जिला बैतूल से शुरुआत करके इतिहास रचा है इसे कुछ विपक्ष मानसिकता रखने वाले इस नीति को गुटबाजी का नाम दे रहे हैं मात्र फ्लेक्स में शहर जिला अध्यक्ष का चित्र ना होने से यह नहीं कहा जा सकता कि दोनों जिलाध्यक्ष विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी के पक्ष में अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे बात अगर वर्ष 2013 मे चुनाव परिणाम को लेकर हेमंत वागद्रे की बात की जाए तो गड़े मुर्दे उखाड़ने वाली जैसी बात सुनने में लगती है। कांग्रेस को मजबूत करने के लिए स्थिति के अनुसार पुनः शहर सुनील शर्मा और ग्रामीण हेमंत वागद्रे दो अध्यक्षों की नियुक्ति किया जाना यह भी कांग्रेस की चुनावी रणनीति है। इसे गुटबाजी का नाम देकर विपक्ष अपने मन को तस्ल्ली दिलाने वाली बात है। बल्कि देखा जाये तो नवनियुक्त ग्रामीण जिला अध्यक्ष हेमंत वागदरे की नियुक्ति के बाद कांग्रेस विधायक निलय डागा भी जिला कांग्रेस संगठन के प्रति अपना रुझान अधिक दिखाने लगे हैं। ब्लकि रेत के मामले की बात करे तो रेत माफियाओ के मन माने दामो को कम कराने मे कांग्रेस के दोनो अध्यक्षों की भूमिका महत्वपूर्ण है। जिससे प्रशासन को भी रेत के भाव कम करवाने के लिये खनिज अधिकारी निर्देश जारी पडा है।
पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी चमचे विपक्ष गुटबाजी का नाम लेकर डागा कांग्रेस कहने से नहीं चुका करते थे। अब वही स्थिति ग्रामीण अध्यक्ष हेमंत वागदरे को कार्यकारिणी अध्यक्ष बनने के बाद से लेकर ग्रामीण अध्यक्ष बनने के बाद बहुसंख्यक समाज याने अब कुनबी कांग्रेस कहने से नही चूक रहे है। आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव को लगभग 8 से 9 में माह बाकी है इस बीच में कॉन्ग्रेस प्रत्याशी और संगठन के बीच का सामंजस्य बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस संबध में कांग्रेस के दो अध्यक्षों को लेकर वर्तमान विधायक निलय डागा एवं सुखदेव पांसे या ब्रह्मा भलावी या धरमु सिंह सहित संगठन के अन्य जिम्मेदारों को किसी प्रकार की चिंता मे होना नजर नही आती तो संगठन को गुटबाजी के तराजू में नापा बिल्कुल नहीं जा सकता। बैतूल जिले व प्रदेश के अन्य जिलों की राजनीति स्थिति से प्रदेश अध्यक्ष पूर्व माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथ वाकिफ है। इसलिए उन्होंने बैतूल जिले में कार्यकर्ताओं को कंट्रोल करने के लिए ग्रामीण एवं शहर अध्यक्ष की नियुक्ति करी है। जो आने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान दोनों जिला अध्यक्षों की जुगलबंदी निश्चित ही 24 कैरेट खरे सोने के जैसी साबित होगी।
पोस्टर में दोनों अध्यक्षों की फोटो ना होना बचकानी हरकत की मानसिकता को प्रतीत तो कर सकता है । लेकिन दोनों अध्यक्षों की अपनी कार्यप्रणाली सक्रियता और पार्टी के प्रति जिम्मेदारी को कम नहीं बता सकती इसलिए पार्टी के अन्य पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं का विश्वास है। कि इस बार भी बैतूल जिले में कांग्रेस की कम से कम लगभग चार सीटें सुनिश्चित है। और पार्टी के कार्यकर्ताओं पदाधिकारी से इस विषय पर चर्चा की जाती है। तो उनका कहना है कि मध्यप्रदेश में वर्ष 2017-18 में प्रदेश की जनता ने कांग्रेस की सरकार चुनी थी। इस बार भी वही जनता है। जो पूरे उत्साह से कांग्रेस की सरकार चुनकर लाएगी।