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पुनर्वास के बंगालियों की मांग बंगाली भाषा मैं हूं पढ़ाई थप्पा तहसील डॉक्टर और सहकारी बैंक शुरू करने की गुहार

 

सुदर्शन टुडे समाचार जिला ब्यूरो चीफ रामेशवर लक्षणे बैतूल

बैतूल। पुनर्वास क्षेत्र चोपना में रहने वाले बंगाली परिवारों ने क्षेत्र की कई समस्याओं को लेकर कल बैतूल पहुंचकर प्रदर्शन किया है बंगाली परिवार अपने 32 बंगाली गांव में स्थित प्राइमरी स्कूलों में बंगाली भाषा एक विषय के रूप में चालू करने की मांग कर रहे हैं उन्होंने क्षेत्र में टप्पा तहसील भवन शुरू करने की और अस्पताल में चिकित्सक नियुक्त करने की मांग की है बंगाली परिवार लंबे समय से राशन दुकान और सहकारी बैंक स्थापना करने की भी मांग कर रहे हैं बैतूल

पहुंचे दर्जनों बंगाली समुदाय के लोगों ने आज कलेक्टर को पांच अलग-अलग मुद्दों पर ज्ञापन सौंपकर उनके निराकरण की मांग की है कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव समीर खान और उपखंड ब्लॉक अध्यक्ष मनिद्र नाथ मंडल के नेतृत्व में बैतूल पहुंचे पुनर्वास क्षेत्र वासियों ने मांग की है कि चोपना स्थित थप्पा तहसील का भवन चालू कराया जाए उन्होंने कहा कि चोपना में राजेश मामले और कामकाज के लिए ठप्पा तहसील 2015-16 में स्वीकृत किया गया है इसके लिए नायाब तहसीलदार की नियुक्ति की गई है

तहसील के लिए भवन का लोकार्पण भी हो चुका है लेकिन आज भी तहसील कार्यालय चोपना से 20 किलोमीटर दूर है इससे जनता को आने जाने में परेशानी होती है तहसील क्षेत्र के अधिकतर दूरी अधिकतम दूरी 57 किलोमीटर है क्षेत्र की जनता को तहसील कार्यालय के लिए 20 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है जो परेशानियों का कारण बना हुआ है

अस्पताल की मांग

गंभीर मरीजों को भर्ती कराने के लिए कैसे आले निर्मित है लेकिन चिकित्सालय को की नियुक्ति नहीं होने से आम जनता को परे चिकित्सा सुविधा से वंचित होना पड़ता है चोपना नंबर 3 में मरीजों की भर्ती के लिए बिस्तर वाला चिकित्सालय मौजूद है लेकिन उसमें कोई डॉक्टर पदस्थ नहीं है इसलिए हीरापुर स्थित अस्पताल में नियमित डॉक्टर की नियुक्ति की जाए

सहकारी बैंक खुलवाने की गुहार

ग्रामीणों ने इसके अलावा सहकारी बैंक की स्थापना की मांग की है उन्होंने कहा है कि क्षेत्र में हजारों किसान रहते हैं जिसमें से अधिकांश श्रद्धा और महिलाएं है सभी को नगद दिन के लिए शाहपुर स्थित सहकारी बैंक जाना पड़ता है जहां पर 1 दिन में भुगतान नहीं होने पर कई दिनों तक जाना और आना परेशानी का सबक बनता जा रहा है रामपुर से यह दूरी 65 किलोमीटर हो जाती है जबकि चोपना से 20 किलोमीटर है इसलिए चोपना में सहकारी समिति और सहकारी बैंक की स्थापना की जाए बांग्ला भाषा की पढ़ाई के लिए शिक्षक

ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें भारत सरकार विभाग द्वारा 1964 मैं स्थापित किया गया था इसमें बंगाली स्थापित परिवारों का पुनर्वास किया गया था इन 32 गांव में स्थित प्राथमिक शाला में बांग्ला भाषा नहीं होने के कारण निवासियों की जाति मातृभाषा बंगाला भाषा विलुप्त होने के कगार पर है उन्होंने प्राइमरी स्कूलों में बंगाली भाषा की पढ़ाई शुरू करने की मांग की है

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