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सिलवानी

भागवत कथा बड़ के वृक्ष की तरह होती है : पंडित प्रभुजी नागर

संवाददाता सिलवानी

सिलवानी बेगमगंज बड के वृक्ष को आप सभी जानते हैं भागवत कथा भी बड़ के वृक्ष की तरह ही है बड़ के वृक्ष में उदारता होती है त्याग होता है बड़ के वृक्ष के नीचे भगवान शिव और भगवान कृष्ण भी विराजमान रहते हैं तथा माता बहने भी बड़ के वृक्ष की परिक्रमा करती है एक बड के वृक्ष से कुछ साल बाद दो-तीन वृक्ष हो जाते हैं बड़ की जड़ जब जमीन को स्पर्श करती है तो वह एक नये वृक्ष के रूप बदलने लगता है उसी प्रकार कथा को सुनने वाला व्यक्ति बड़भागी है उक्त बात उत्कृष्ट स्कूल के मैदान में चल रही सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस पंडित प्रभु जी नागर ने कही ।

श्री नागर ने मधुमक्खी और दीमक का उदाहरण देते हुए कहा कि लोगों को मधुमक्खियों की तरह व्यस्त होना चाहिए ना की दीमक की तरह, क्योंकि मधुमक्खी व्यस्त रहकर शहद बनाने का काम करती है जिसका उपयोग एक औषधि के रूप में होता है। लेकिन दीमक व्यस्त रहकर जमीन को खोखला करती है। यह आप लोगों पर निर्भर करता है कि आप को दीमक की तरह काम करना है या मधुमक्खी की तरह।

संत श्री नागर ने कहा कि जीवन में तीन जगह समय अवश्य दो प्रथम जिसका समय खराब चल रहा हो उसे दो आपका दुखी समय से परिचय हो जाएगा। दूसरा जो बीमार हो उसका हालचाल जाकर पूंछना इससे आपका बीमारी से परिचय हो जाएगा। तीसरा घर में यदि कोई बुजुर्ग पलंग पर पड़ा हो तो उसे समय अवश्य देना तो आपका बुढ़ापा नहीं बिगड़ेगा। संत श्री ने कहा कि पुत्रवान बनने पर लोग खुद को सौभाग्य शाली मानते है, लेकिन पहले इसका अनुभव तो लो। पुत्रवान तो बन सकते हो, लेकिन पुण्यवान बनो। एकाध पुत्र ही अच्छा हो सकता है। यदि पुत्र अच्छा है तो आपका पुण्य अच्छा है, क्योंकि आज के हालात ऐसे हैं कि पिता वाकर पकड़कर चल रहा है और पुत्र कुत्ते की सांकल पकड़कर चल रहा है। जिस संतान के लिए हम जीवन लगा देते है और जब हम थक जाते है। हमें उनके सहारे की जरूरत होती है तब कहा जाता है अपना देख लो। यह ध्यान रखो जिसको समय हो वह अलग हो जाएंगे और जिसे यानि भगवान को समय नहीं दे रहे वहीं साथ निभाएंगे। अतः भगवत को समय दें।

 

 

भागवत कथा के पूर्व नगर एवं ग्रामीणो सहित समिति द्वारा बेंड बाजो,शेर दल भजन मंडलियों के साथ कलश यात्रा एवं भागवत पोथी की शोभायात्रा निकाली गई कलश यात्रा में बेंड दल शेर दल एवं एक ट्राली पर श्री राधा कृष्ण की वेशभूषा में नृत्य व एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुति दी जिसपर महिला पुरुष खूब थिरके कलश यात्रा श्री बजरिया मंदिर से प्रारंभ हुई जो नगर के मुख्य मार्ग से होते हुए कथा स्थल पहुंची। इस दौरान यजमान हरिकेश राय एवं संतोष राय भागवत कथा की पोथी को सिर पर लेकर चल रहे थे। कलश यात्रा और पोथी का जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। महिलाएं और कन्याएं अपने सिरों पर कलश लेकर मंगल गीत गाती हुई चल रही थी। भागवत कथा सुनने के लिए नगर सहित आसपास के हजारों लोग शामिल हुए। पूरे नगर को झंडे बैनर स्वागत द्वार से सजाया गया है जगह जगह जमकर पुष्प वर्षा की गई।

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