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सिलवानी

जनपद पंचायत सिलवानी के सभागार में महिलाओं के लिए विधिक जागरुकता शिविर का आयोजन।

संवाददाता। सुदर्शन टुडे सिलवानी

महिलाओं को कानूनी साक्षरता का ज्ञान होना उनके व उनके परिवार के विकास के लिए आवश्यक है=- जिला न्यायाधीश

सिलवानी।।मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसार व राष्ट्रीय महिला आयोग दिल्ली के समन्यवय से एवं प्रधान जिला एवं सत्र न्‍यायाधीश रायसेन अनीस कुमार मिश्रा के मार्गदर्शन में, तहसील विधिक सेवा समिति सिलवानी द्वारा मंगलवार को जनपद पंचायत सिलवानी के सभागार में महिलाओं के लिए विधिक जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया।कार्यक्रम की शुरुआत मॉं सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया।महिलाओं के लिए विधिक जागरुकता शिविर में मुख्य वक्ता एवं रिर्सोस पर्सन व अध्यक्ष तहसील विधिक सेवा समिति सिलवानी अतुल यादव ने उपस्थित महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज के समय में महिलाओं को कानूनी साक्षरता का ज्ञान होना उनके व उनके परिवार के विकास के लिए आवश्यक है। विधिक जागरूकता से ही महिलाओं का सशक्तिकरण संभव है। इसी उद्देश्य से राष्ट्रीय महिला आयोग के समन्वय से महिलाओं के लिये यह विशेष जागरूकता शिविर का आयोजन हुआ है। अक्सर देखा गया है कि महिलाएं अपने अधिकारों के लिए कानून के ज्ञान के अभाव के चलते आवाज नहीं उठा पाती है। इसी के चलते वह कई तरह की प्रताड़नाओं का सामना करती है। महिलाओं को जमीनी स्तर पर विधिक जागरूक करने एवं महिला शक्तिकरण के उद्देश्य से यह जागरुकता शिविर आयोजित किया गया है ।

 

शिविर में अुतल यादव न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी सिलवानी महिलाओं को भारतीय दण्ड संहिता में वर्णित महिलाओं के विरूद्ध अपराध से सम्बंधित प्रावधान, दहेज प्रतिषेध अधिनियम, पाक्सों अधिनियम, 2012, महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों के साथ-साथ घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 अर्न्तगत महिलाओं के विभिन्न अधिकारों के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी और महिलाओं को उत्तराधिकार के सम्बंध में प्राप्त अधिकारों से संबंधित विषय पर उदबोधन दिया गया तथा सूक्ष्मता के साथ समझाया गया ।

 

महिला जागरुकता शिविर में रिर्सोस पर्सन सैयद मो. लुकमान द्वारा उपस्थित महिलाओं को बाल विवाह निषेध अधिनियम के बारे जानकारी देते हुए बताया कि बाल विवाह एक गंभीर अपराध है। चाइल्ड मैरिज एक्ट 2006 के मुताबिक 18 साल से पहले किसी लड़की या 21 साल से पहले किसी लड़के की शादी की जाती है, तो वह कानूनन अपराध होगा और उसे बाल विवाह माना जाएगा। उन्होंने बताया कि भारत में बाल विवाह सदियों से प्रचलित है और यह किसी धर्म विशेष से नहीं होकर सभी धर्म समुदायों और वर्गों में लंबे समय से चल रही प्रथा है। वर्तमान समय में यह प्रथा ग्रामीण इलाकों में ज्यादा देखने को मिलती है। बाल विवाह के पीछे के कारणों में मुख्यत: गरीबी और शिक्षा जैसे कारण हैं। उन्होंने शिविर में महिलाओं से आह्वान किया कि बाल विवाह ना करें। उन्होंने कहा कि बाल विवाह होने के कारण ना तो पति पत्नी कमाने में सक्षम होते हैं और ना ही उनका शारीरिक विकास होता है। बाद में इसका खामियाजा महिलाओं व उनकी संतानों को भुगतना पड़ता है।

 

 

शिविर में महिला बाल विकास अधिकारी गनेश ठाकुर द्वारा महिलाओं को बताया गया कि मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव में महिलाओं का पचास प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है तथा शिविर में किसी भी महिला को कानून के संबंध में कोई जानकारी ले सकती है ।

कार्यक्रम का संचालन अभिभाषक सुनील श्रीवास्तव द्वारा किया गया एवं महिलाओं को महिलाओं के अधिकारों के बारें में कहा कि उन्हें स्वतंत्रता और समानता का अधिकार, नारी की गरिमा का अधिकार, नौकरी व्यवसाय करने का अधिकार, प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार और संपत्ति का अधिकार जैसे अनेकों अधिकार प्राप्त हैं। उन्हें अपने अधिकारों के प्रति सजग एवं जागरुक रहना चाहिए ।

शिवर में अधिवक्ता दीपेश समैया उपाध्यक्ष अभिाभाषक संघ, सुनील श्रीवास्तव, आरके जैन संतोष कुमार जैन, जीएस रघुवंशी, महिला सुपरवाईजर आबिदा बी सहित अन्य महिलाए उपस्थित रही।

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