अभिनंदन जैन के 10 निर्जला एवं मौन उपवास के बाद आज होगी पारणा
करंजिया:- मुख्यालय के संभावनाथ जिन चैत्यालय मैं पर्वाधिराज दसलक्षण महापर्व को जैन अनुयायियों ने हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। दसलक्षण महापर्व के अंतिम दिन मन्दिर एवम श्रावकों ने घरों में दसलक्षण धर्म के उत्तम ब्रम्हचर्य धर्म की उपासना की अनंत चतुर्दशी को मंदिर जी में दोपहर को अभिषेक पूजन के पश्चात क्षमावाणी पर्व शुरू हो गया जिसमें सभी जैन अनुयायियों ने उत्तम क्षमा धर्म को अंगीकार किया तथा सभी ने जाने अनजाने में हुई गलितयों के लिये सम्पूर्ण जगत के प्राणियों से क्षमा मांगी तथा पूरे विश्व मे शान्ति की कामना की ।
क्षमावाणी पर्व का विशेष महत्व
क्षमा वीरों का आभूषण है
क्षमा वीरस्य भूषणम् उत्तम क्षमा ,जो क्षमा मांगते हैं वो वीर होते हैं, लेकिन जो क्षमा करते हैं वो महावीर होते हैं। जैन धर्म की परम्परा के अनुसार दसलक्षण पर्व के अंतिम दिन क्षमावाणी दिवस पर सभी एक दूसरे से क्षमा मांगते हैं,क्षमा अहिंसा ओर मैत्री का पर्व है। क्षमा से ह्रदय में शांति और मैत्री भाव उत्पन्न होता है ओर मन की शुद्धि होती है। जीवन मे व्यक्ति जिसके सम्पर्क में होता है तो कभी न कभी संवाद भी अवश्य हुआ होगा,कभी मीठा मीठा संघर्ष भी हुआ होगा, या किसी और तरह की मन में खटास भी अवश्य हुई होगी। उन सभी शब्दों,और आचरण की वजह से किसी भी तरह से आपके दिल को दुखाया हो तो उसके लिए आज क्षमापर्व पर करबद्ध क्षमा मांगते हुए और सभी राग और द्वेषो को दूर करते हुए मन, वचन ओर काया से अपने कर्मो की निर्जरा करते हैं। इस अवसर पर सभी श्रद्धालुओं ने एक दूसरे से क्षमा मांगी तथा विश्व शान्ति के लिए भगवान से कामना की।
क्षमावाणी पर्व का विशेष महत्व
मुख्यालय के अभिनंदन जैन सुपुत्र स्व. राजेंद्र जैन स्व. शशि जैन के द्वारा दसलक्षण पर्व के 10 दिन उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन एवं उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की उपासना करते हुए 10 दिनों तक निर्जला एवं मौन उपवास किए जो निर्विघ्न पूर्ण हुए । जिसके बाद आज शनिवार को भगवान के अभिषेक प्रक्षाल एवं पूजन के पश्चात उनकी पारणा जैन अनुयायियों के द्वारा कराई जावेगी ।सभी ने अभिनंदन जैन के द्वारा किए गए इस तप की अनुमोदना की ।