सिरोंज – नगर सिरोंज का इतिहास काफी वर्षो से सुनहरा व गंभीर रहा है राजस्थान के टोंक रियासत का जिला रहा है नगर सिरोंज जिसको विदिशा जिले की तहसील बना दिया गया जिसमे 39 वर्षों से क्षेत्र के विभिन्न संगठन सिरोंज को जिला बनाने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन हर बार उनके हक में सिर्फ छलावा ही आता है। सरकार किसी की भी हो, लेकिन सिरोंज को जिला बनाने के लिए किसी सरकार ने काम नहीं किया। प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी जाते-जाते नागदा, मैहर और चांचौड़ा को जिला बनाने की घोषणा कर गई, लेकिन उसने भी सिरोंज को छोड़ दिया। इससे पहले 15 साल तक भाजपा सरकार ने भी सिरोंज की इस मांग को अनदेखा किया था जिस कारण लोगो में आक्रोश है
विधायक ने भी किया सार्थक प्रयास सिरोंज को जिला बनाने पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा का भी भरपूर योगदान रहा साथ ही पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा द्वारा सिरोंज में विकास की गंगा बहाई गयी उनके प्रति जनता का प्रेम अटूट रहा उनके अनुज क्षेत्रीय विधायक उमाकांत शर्मा ने भी इस सिरोंज जिला बनाओ अभियान को बढ़ाया और मांग रखी
सिरोंज को जिला बनाने की मांग 1983 से लगातार की जा रही है। इसके लिए इस दौरान आमरण अनशन, हस्ताक्षर अभियान, नगर बंद, सहित कई आंदोलन समय समय पर किए गए। लेकिन क्षेत्र की आम जनता का यह सपना 39 वर्ष के बाद भी साकार नहीं हो सका। मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने अपनी सरकार बनने पर नगरवासियों को यह आस हुई थी कि अब सिरोंज को जिला बनाया जा सकता है, लेकिन जाते-जाते कांग्रेस सरकार ने भी इसकी अनदेखी कर अन्य तीन तहसीलों को ही प्राथमिकता दी। इस फैसले की जानकारी मिलते ही नागरिकों में कमलनाथ सरकार के प्रति आक्रोश दिखा। सोशल मीडिया पर लोगो ने कांग्रेस सरकार को कोसते हुए कहा कि कमलनाथ सरकार ने सिरोंज-लटेरी के लोगों कें साथ धोखा किया है।
गौरवशाली रहा है सिरोंज का इतिहास आजादी के पहले प्राचीन काल में व्यापारिक नगर सिरोंज मलमल के वस्त्र बनाने में पूरे देश भर में प्रसिद्ध रहा है। शहर में सिक्के ढलने की टकसाल रही है। इसके बाद यह चंदेरी रियासत में शामिल रहा हैं। ये शहर महाराज छत्रपाल के अलावा अन्य शासन काल में होल्कर राज्य का जिला रहा है। होल्कर राज्य की रानी अहिल्या देवी द्वारा निर्मित कराया गया नीलकंठ मंदिर यहां आज भी प्रसिद्ध है। इसके बाद अंग्रेजों से समझौता के तहत रियासत टोंक में सिरोंज 1949 तक जिला रहा। आजादी के बाद टोंक रियासत का राजस्थान में विलीन होने पर सिरोंज को जिला बनाने का दर्जा खत्म कर दिया गया। इसके बाद यहां अधिकांशत: आइएएस अधिकारी ही एसडीएम के तौर पर नियुक्त होते रहे हैं। बाद में सिरोंज को मप्र के विदिशा जिले में शामिल कर अनुविभाग बना दिया गया।
कई बार हो चुके है आंदोलन-त्यागी वरिष्ठ अभिभाषक कपिल त्यागी ने बताया कि 1992 से लगातार मांग की जा रही है। कई आंदोलन किए गए है। 25 सितम्बर 1992 को सिरोंज बंद रहा। 28 सितम्बर को छात्र-छात्राओं ने जिला बनाने की मांग को लेकर शैक्षणिक संस्थाओं का बहिष्कार किया। 26 नबंम्बर से 1 दिसम्बर 1992 तक गांधी बाजार में आमरण अनशन हुआ। लेकिन सिरोंज जिला नहीं बनाया गया। वर्तमान सरकार से आस थी लेकिन उसने भी महत्व नहीं दिया।सिरोंज के साथ अन्याय हुआ है हम चुप नहीं बैठेंगे -राहुल त्यागी समाजसेवी राहुल त्यागी ने बताया कि आजादी से पहले विभिन्न शासन काल में सिरोंज जिला रहा है। मध्यप्रदेश में भी कई नए जिले बने, उनमेंं सिरेांज को भी शामिल किया जाना था, पर नही किया गया। वर्तमान कांग्रेस सरकार ने नए तीन जिलों में सिरोंज को शामिल न कर क्षेत्र की जनता के साथ बहुत बडा छलावा किया है। ऐसे में शहर के लोग अब चुप नहीं बैठेेंगे। हम जिला बनाने की मांग को लेकर नई रणनीति तैयार करेगे।