जिला ब्यूरो चीफ आनन्द साहू
राजनीति के तवे पर नेता रोटियां पकाते हैं जनता को गुमराह कर खूब मलाई खाते हैं झूठे वादे झूठे इरादे झूठे कारनामे देखे हैं दल दलों की करें बुराई और कुर्सी पा लेते हैं भूल जाते हैं वादों को रहे घोटालों की ताक में अपनी कुर्सी बची रहे फिर जनता जाए खाक में जनता जानती है हाल सब पर सबकी मजबूरी है शिक्षा का अभाव और जागरूकता अधूरी है आरोप-प्रत्यारोप नेताओं की भाषा शैली है बनकर वादे भूल गए इनकी मानसिकता मेली है लोकतंत्र में सविधान की खूब धज्जिया उड़ाते हैं राजनीति के पेपर नेता रोटियां पकाते हैं सजग रहना मानो हमे जीवन में प्यार है क्योंकि अपग्यता का दुनिया में भंडार हैं सजगता हुआ स्वच्छता सुयोगता लाती है नम्रता विनम्रता पथ उज्वल बनाती हैं प्रति पथ नियम नेम दिन चर्चा सही है सफल होता जीवन जहा सजगता रही