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अनूपपुर

मांझेटोला प्राथमिक विद्यालय हुआ खंडहर विभाग को भनक तक नहीं

6 माह से अन्यत्र जगह हो रहा है विद्यालय का संचालन

अनूपपुर/ पुष्पराजगढ़ विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत रनई का पा में प्राथमिक विद्यालय मांझेटोला संचालित है जहां पर 2 शिक्षक पदस्थ हैं। प्राथमिक विद्यालय मांझी टोला का भवन जर्जर एवं खंडहर हो चुका है। अर्थात भवन में बच्चों को पढ़ाना बच्चों के जान का खतरा मोल लेना होगा इसलिए 6 माह से बच्चों को अन्यत्र जगह विद्यालय का संचालन करवाना पड़ रहा है।

जिले का शर्मनाक शिक्षा व्यवस्था

मध्य प्रदेश का अनूपपुर जिला एक आदिवासी बाहुल्य जिला कहलाता है जहां पर गांव के गरीब किसान मजदूर के बच्चे शासकीय विद्यालयों में अध्ययन करते हैं और खासकर ट्राइबल जिलों में अच्छी शिक्षा व्यवस्था के लिए शासन द्वारा समय-समय पर कई जनहित योजनाएं चलाई जाती है लेकिन अनूपपुर जिले का शिक्षा व्यवस्था इन व्यवस्थाओं से कोसों दूर है बच्चों के अध्ययन के लिए विद्यालय भवन तक नहीं है जिस पुस्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में बच्चों के पढ़ने के लिए भवन तक नहीं है वहां मुख्यालय में विधायक निवास है और मुख्यालय में ही शहडोल संसदीय क्षेत्र का सांसद निवास है और तो और जिस अनूपपुर जिला की ऐसी व्यवस्था है उस जिला में मंत्री महोदय का ग्रह ग्राम भी है क्या कहा जाए आंख मूंदकर शासन व्यवस्था चलाई जा रही है या फिर जनता को बेवकूफ बनाकर अपना शासन कायम रखना चाहते हैं शर्म आना चाहिए 22 वी सदी का आधुनिक भारत क्या ऐसी ही होना चाहिए।

जिले के शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों इन गंभीर समस्याओं का भनक तक नहीं

शासकीय प्राथमिक विद्यालय मांझे टोला के विषय में जब हमारे संवाददाता जन शिक्षक राजेंद्र चौक से से जानना चाहा तब उन्होंने उत्तर दिया कि मेरे द्वारा पूरी जानकारी अपने उच्च अधिकारियों को दे दिया गया है तब बीआरसी समन्वयक पुष्प राजगढ़ हर्ष त्रिपाठी से जानकारी लेने पर पता चला कि उन्हें कुछ पता ही नहीं है इसके बाद जब बी ई ओ भोग सिंह मरावी से जानकारी साझा की गई तो उनका कहना है ।की आपके द्वारा मेरे संज्ञान में जानकारी दी गई है। और इसके बाद जिले के डीपीसी हेमंत खैरवार को प्राथमिक विद्यालय मांझेटोला के समस्या के विषय में बात करने पर उनका कहना था की इस समस्या को मैं अभी दिखाता हूं एवं मैं खुद चलकर देखूंगा अब बताया जाए पुराने जर्जर और खंडार होने के बाद उस विद्यालय में खतरा के वजह से बच्चे अध्ययन नहीं कर पा रहे हैं भवन के अभाव में बच्चों को गांव के ही विद्यालय भवन से दूर लगभग 1 किलोमीटर पर दूसरे घर में छह माह से अध्ययन करवाया जा रहा हो इस विषय में शासन प्रशासन को पता ना हो तो प्रशासन की नाकामी एवं लचर व्यवस्था ही कहा जा सकता है।

आखिर कौन जिम्मेदार है इन अव्यवस्थाओं के पीछे

अनूपपुर जिले का शिक्षा विभाग के अधिकारी कर्मचारी अपने अपने नैतिक जिम्मेदारियों से किस तरह लापरवाह नजर आ रहे हैं और सब को समय पर वेतन चाहिए बाकी प्रशासन के सारी सुविधाएं चाहिए क्षेत्र के बच्चों को पढ़ाई की सुविधा मिले या ना मिले उनके पढ़ने के लिए भवन हो या ना हो ऐसी व्यवस्था में बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलना तो दूर पढ़ने के लिए भवन तक नसीब नहीं है क्या होगा शासकीय स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों के भविष्य का इस तरह से बच्चों का भविष्य सत्यानाश हो रहा है जिसको देखने वाला कोई नहीं है बच्चों के भविष्य को नर्क में मिलाने वाला प्रशासन में बैठे अधिकारी कर्मचारियों की क्या नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती। अब देखने वाली बात यह है समाचार पत्रों के माध्यम से अधिकारी कर्मचारियों को या क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को इन समस्याओं के विषय में अवगत कराया जा रहा है तो क्या समस्याओं का निदान हो पाएगा। या फिर मध्य प्रदेश सरकार को अनूपपुर जिला का शिक्षा विभाग ऐसे ही अपनी नाकामी को प्रदर्शन करता रहेगा।

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