Sudarshan Today
अनूपपुरमध्य प्रदेश

भ्रष्टाचार की ‘रेत’ पर फिसलते अधिकारी, सरकार की नाक के नीचे बालू माफियाओं का ‘ओवरलोड’ खेल जारी

सुदर्शन टुडे अनूपपुर

इंट्रो मध्यप्रदेश सरकार के राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत बालू। बालू यानि पीला सोना। चमकती रेत। जिसके बिना विकास के निर्माण की कल्पना अधूरी है। संभाग में हो रहे निर्माण कार्य बिना बालू के संभव नहीं हैं। बालू नदी के पेट में मौजूद वो पीला सोना है, जिसके लिए बालू माफिया कोई भी पाप करने को तैयार हैं। बालू के वैध और अवैध खनन दोनों में भ्रष्टाचार की गंगोत्री बहती है। इसमें डुबकी लगाने वाले खनन विभाग के अफसर के साथ स्थानीय पुलिसकर्मी भी होते हैं। माफिया की मनमानी पर रोक लगाने की जगह उन्हें बचकर निकल जाने का रास्ता इन्हीं अधिकारियों की ओर से दिया जाता है।

अनूपपुर / चंगेरी खदान में अवैध रेत खनन से रातों-रात अपराधी राजा बन रहे हैं। अवैध बालू खनन से केवई के साथ सोन नदी कराह रही है। नदी के पेट में सैकड़ों की संख्या में मशीनें खुदाई के लिए उतारी जाती हैं। इसी अवैध खनन को लेकर माफिया गुटों में गोलीबारी होती है। कई जिंदगी सैकड़ों बार काल के गाल में समा जाती है। कुछ समय के लिए बालू के अवैध खनन पर बवाल मचता है। फिर, मामला शांत हो जाता है। पीले सोने से निकली पाप की कहानी के भागीदार वो अधिकारी भी हैं, जिन पर अवैध खनन रोकने की जिम्मेदारी है। प्रसाशन और पुलिस की अनदेखी के कारण ओवरलोड ट्रक, डंपर, ट्रैक्टर-ट्रॉली आदि वाहन सड़क पर सरपट दौड़ते हुए दुर्घटनाओं को वेलकम कर रहे हैं. इनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं करने से वाहन चालकों के हौसले बुलंद हैं. प्रशासन और पुलिस की लचर कार्यप्रणाली के चलते ओवर लोड रेत से भरे डंपर बेखौफ होकर क्षेत्र की सड़कों पर दौड़ते नजर आ रहे हैं. नगर की सीमा में प्रवेश करते ही चालक वाहनों की स्पीड बढ़ा देते हैं. तेज रफ्तार से गुजरने वाले रेत के यह वाहन अक्सर हादसों का कारण बन रहे हैं. रेत से भरे यह वाहन नगर व क्षेत्र की सड़कों से होकर कोतमा, बदरा, अनूपपुर, बुढ़ार, शहडोल, उमरिया, आदि शहरों में जाते हैं, लेकिन प्रशासन द्वारा इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है, जिसके चलते डंफर ऑपरेटरों के हौसले बुलंद हो रहें हैं. इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने के कारण उनकी भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

जिला टॉस्क फोर्स कमेटी खनिज के ओवरलोडिंग पर लगाम नहीं लगा पा रही।

तभी तो सीमावर्ती जिले से नियमों को दरकिनार कर रेत का बेखौफ कारोबार चल रहा है। कारोबारी हाइवे से लेकर प्रतिबंधित संपर्क मार्गों पर रेत से भरे ओवरलोड वाहन दौड़ा रहे। इससे शहरी क्षेत्र की गलियों और ग्रामीण क्षेत्र में संपर्क मार्ग खराब हो रहे हैं। यही नहीं रेत माफिया के इस कारोबार से खजाने के राजस्व को भी झटका लगा रहा। जिम्मेदार एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। नियम है कि जिला टॉस्क कमेटी इस पर लगाम लगाने अभियान चलाकर चेकिंग कर कार्रवाई करे। चालू वर्ष में अभी तक छिटपुट कार्रवाई को छोड़ दें तो अभियान चलाकर एक भी कार्रवाई की सूचना नहीं है।

आस-पास के जिले में बड़े पैमाने पर रेत परिवहन कर भेजी जा रही

संभाग के अंदर किसी भी खदान का टीपी ना चालू होने से पूरे संभाग में रेत की खपत अधिक होने से आस-पास के जिले में बड़े पैमाने पर चंगेरी खदान से ही रेत परिवहन कर भेजाई जा रही है। कारोबारी नियमों की अनदेखी कर रेत का परिवहन कर रहे हैं। बताते हैं कि कंस्ट्रक्शन कंपनियों से लेकर अन्य निर्माण के लिए 100 से अधिक रेत से भरे वाहन प्रतिदिन जा रहे हैं। संभाग में अनूपपुर, शहडोल उमरिया समेत अन्य जगहों में रेत का परिवहन कर चंगेरी खदान से रेत पूरे संभाग में नियम विरुद्ध तरीके से भेजा जा रहा है। रेत ठेकेदार खनिज अधिकारियों से साठगांठ कर निर्माण के नाम पर रेत डंप कर रखा है। आस-पास जिले से आ रहे वाहनों की चेकिंग तक नहीं हो रही है। अधिकतर वाहनों की परिवहन की पासिंग क्षमता और खनिज परिवहन का दस्तावेज शीशे पर चस्पा नहीं किए गए हैं।

बिना ढके रेत का हो रहा परिवहन, नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां बाल बाल बचा दसटायरा

कोतमा के चंगेरी खदान में रेत से भरी डंपर ट्रक में बालू लदे रहते है तिरपाल से ढके नहीं होते हैं जिससे रास्ते में चल रहे राहगीर साइकिल – मोटरसाइकिल वाहन चालकों के आंखों में पड़ जाते हैं। कोतमा से शहडोल राज्य मार्ग पर रेत परिवहन करने वाले हाइवा, ट्रक माजदा आदि गाड़ियों में तिरपाल नहीं ढके होते हैं जिससे राहगीरों को परेशानी होती है। इस संबंध में कलेक्टर व माइनिंग विभाग ने निर्देश भी दिए हैं पर इसका पालन नहीं किया जा रहा है। रेत ले जा रही गाड़ियों में तिरपाल नहीं ढके से आंखों पर रेत कंकड़ पड़ जाते हैं जिससे दुर्घटनाएं की संभावना रहती है। कुछ समझदार ट्रक चालक तिरपाल ढकते हैं लेकिन कई लोग बिल्कुल ही नहीं ढकते इन पर कार्यवाही नहीं होने से इनके हौसले बुलंद हैं। ज्ञात हो कि जब से राजमार्ग का निर्माण हुआ है तब से केवई, सोन से रेत निकालने वालों की बाढ़ सी आ गयी है। कोतमा से अनूपपुर शहडोल जाने पर सैकड़ों ट्रक ट्रैक्टर, माजदा रेत परिवहन करते देखे जा सकते हैं पर परिवहन नियमों का पालन इनके द्वारा पालन नहीं किया जा रहा है। गाड़ी की स्पीड बहुत ज्यादा होती ही है और तिरपाल नहीं ढके होने के कारण रेत उड़ कर आखों में आ जाती है साथ ही गतियावरोधकों में रेत गिट्टी गिर जाती है जिस पर दुपहिया वाहन स्लिप हो जाते हैं इसलिए ऐसे परिवहन करने वाली गाड़ियों की जांच कर उचित कार्यवाही करना अति आवश्यक है।

इनका कहना है

अभी मैं हॉस्पिटल में बीमार पड़ी हूं। मेरी तबीयत ठीक नहीं है।
जैसे मेरी तबियत ठीक होती है,खदानों का निरीक्षण कर जांच करवा लेती हूं।

ईशा वर्मा
माइनिंग इंस्पेक्टर खनिज विभाग अनूपपुर

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