नीलेश विश्वकर्मा /दमोह /पथरिया
राज्य निर्वाचन आयोग चाहता है कि मतदाताओं को प्रभावित करने के उद्देश्य से उन्हें वाहनों में लाने-ले-जाने के प्रयासों को सख्ती से रोका जाये। इस संबंध में संपूर्ण नगरपालिका क्षेत्र में मतदान के एक दिन पहले ही इस आशय की घोषणा कर दी जाये कि ऐसे वाहनों का चालान होगा और वे जब्त किये जायेंगे। अत: परेशानी से बचने के लिये मतदाता किसी भी उम्मीदवार द्वारा इस प्रकार की सुविधा के ऑफर को स्वीकार न करें। यह बात कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी एस. कृष्ण चैतन्य ने कही उन्होंने कहा जहां तक सवारी वाहनों के उपयोग का प्रश्न है, जो वाहन व्यक्तिगत उपयोग में लाये जाते हैं, जैसे- कार या स्कूटर या मोपेड, उनमें वाहन स्वामी एवं स्वयं तथा अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मतदान हेतु केन्द्र के पास तक जा सकता है, परन्तु उसे भी अपने वाहन में अन्य मतदाताओं को लाने-ले-जाने का कार्य नहीं करना चाहिए। यदि इस प्रकार व्यक्तिगत स्वामित्व के वाहनों अथवा भाड़े पर लिये गये अन्य सवारी वाहनों जैसे कि टेक्सी, टेम्पो आदि का दुरुपयोग मतदाताओं को लाने-ले-जाने के लिये किया जा रहा हो, तो यह कृत्य मध्यप्रदेश स्थानीय प्रधिकारी (निर्वाचन अपराध) अधिनियम, 1964 की धारा 9 के अंतर्गत एक अपराध है और इस प्रकार का अपराध करने वाले व्यक्ति विरुद्ध आवश्यक आपराधिक प्रकरण कायम करने के साथ-साथ उसके वाहन को भी जब्त करने की कार्यवाही की जायेगी कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री चैतन्य ने अनुविभागीय अधिकारी, (राजस्व) एवं रिटर्रिंग आफिसर (नगरपालिका) पथरिया, तेन्दूखेड़ा, हटा तथा तहसीलदार, नायब तहसीलदार एवं रिटर्निंग आफिसर पटेरा एवं हिण्डोरिया से कहा है कि मतदान के दिन उम्मीदवारों द्वारा भाड़े से वाहनों में मतदाताओं को मतदान केन्द्रों तक पहुंचाने की बहुधा शिकायतें आती हैं। इससे मतदान की सुचिता प्रभावित होती है। अत: इस प्रकार के प्रयासों पर सख्ती से रोक लगाई जाये श्री चैतन्य ने कहा माल वाहक वाहनों जैसे की लारियों, ट्रकों, ट्रेक्टर ट्रालियों आदि का उपयोग सवारियां ढोने के लिये नहीं किया जा सकता। ऐसे वाहनों में केवल सामान चढ़ाने या उतारने वाले श्रमिको को छोड़कर अन्य लोगों को बैठने पर पाबंदी है तथा ऐसा करना लायसेंस की शर्तों का उल्लंघन है। अत: यदि माल वाहक वाहनों का मतदाताओं को ढोने के लिये दुरुपयोग किया जा रहा हो तो ऐसे वाहनों को जब्त करके, मोटर यान अधिनियम, 1988 के अन्तर्गत आवश्यक कार्यवाही की जानी चाहिए।