वृक्ष धरा की सुंदरता बचा के रखना मुझको तुम
वृक्ष धरा की सुंदरता
बचा के रखना मुझको तुम
वरना जीना मुश्किल हो जाएगा
मेरे बिना तू हे मानव
कैसे जीवन जी पाएगा
काट काट के मुझको तुम
ईटों का महल बनाते हो
पृथ्वी की हरियाली का
अस्तित्व मिटाते जाते हो
बचा के रखना मुझको तुम
वृक्ष धरा की सुंदरता
फल फूल हमी से पाते हो
हरा भरा हो जग सारा
तुम क्यों नहीं पेड़ लगाते हो
शुद्ध हवा तुमको देकर
बीमारियों से बचाता हूं
टहनी शाखा फल फूल समेत
काम तुम्हारे आता हूं
बचा के रखना मुझको तुम
जागृत हो यदि मानव तो
प्रति व्यक्ति वृक्ष लगाना है
बंजर पड़ी धरती मां को
हरा परिधान पहनाना है
प्रण करो कि इस धरा को
हरा भरा बनाना है
वृक्ष नहीं कटने देंगे
यही संकल्प हमारा है
बचा के रखना मुझको तुम
वरना जीना मुश्किल हो जाएगा
सीमा त्रिपाठी लालगंज प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश