स्टोरी राहुल गुप्ता राजपुर
सतपुड़ा पर्वत श्रंखलाओं की हरी भरी वादियों में मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में स्थित राजपुर तहसील के नागलवाड़ी गांव में नागदेवता को समर्पित सैकड़ों साल पूराने और प्रसिद्ध मंदिर श्री भीलट देव शिखरधाम की महिमा स्थानीय लोगों में ही थी नहीं बल्कि देश और दुनियाभर के लोगों के लिए अपरंपार है। सैकड़ों वर्षों से यह तीर्थ शिखरधाम के नाम से प्रसिद्ध है। हर साल यहां नागपंचमी के विशेष अवसर पर लाखों लोग दर्शन करने के लिए आते हैं।
नागलवाड़ी के इस भीलट देव जी के मंदिर में सावन की नागपंचमी पर श्री भीलट देव संस्थान की ओर से गांव और जिला प्रशासन के सहयोग से यहां श्री भीलट देव का 5 दिवसीय मेला भी आयोजित किया जाता है जिसमें प्रतिदिन कई विशेष धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इस विशेष अवसर पर हर साल दूर-दूर से लगभग पांच लाख से भी ज्यादा लोग भगवान के दर्शन करने और मेले में शामिल होने के लिए आते हैं।
बाबा भीलट देव नाम से प्रसिद्ध और नागदेवता को समर्पित सैकड़ों साल पूराने इस मंदिर और इसमें विराजित भीलट देव के विषय में कई प्रकार के किस्से और कहानियां प्रचलित हैं। यहां प्रचलित मान्यताओं और किंवदंतियों के आधार पर बाबा भीलट देव का जन्म आज से लगभग 800 वर्ष पूर्व मध्यप्रदेश के हरदा जिले के रोलगांव पाटन में हुआ था।
इतनी कठोर तपस्या और साधना से प्रसन्न होकर भोलेनाथ और माता पार्वती ने उन्हें वरदान के रूप में एक सुंदर बाल का आशीर्वाद दिया। माता-पिता ने प्यार से उस बालक का नाम भीलट रखा। लेकिन साथ ही माता मेंदाबाई व पिता रेव जी से यह भी वचन लिया कि हम लोग प्रतिदिन तुम्हारे घर पर भिक्षा मांगने आया करेंगे। और यदि किसी भी दिन आप लोगों ने हमें या इस बाालक को अनदेखा किया तो फिर हम इस बालक को अपने साथ ले जाएंगे। कहा जाता है कि भीलट देव ने बचपन से ही अपनी चमत्कारिक लीलाओं से परिवार व ग्रामवासियों को आश्चचर्यचकित कर दिया था। भीलट देव के इस मंदिर तक पहुंचने के लिए महाराष्ट्र के धुले-इंदौर-खंडवा-खरगोन से आसानी से नागलवाड़ी शिखर धाम आया जा सकता है। इसके अलावा गूगल मैप के जरिए भी भीलट देव की लोकेशन देखकर नागलवाड़ी शिखरधाम जाया जा सकता है।
मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में बड़वानी और खरगोन जिले की सीमा पर नागलवाड़ी में स्थित भीलटदेव का यह मंदिर इस क्षेत्र के लिए बहुत ही महत्व रखता है। इसलिए, हर दिशा से यहां पहुंचने वाले यात्रियों के लिए बारहों मास आवागमन के साधन उपलब्ध हैं। मंदिर तक पहुंचने वाले सभी रास्ते पक्के बने हुए हैं। जबकि सड़क मार्ग के बाद लगभग एक हजार मीटर की ऊंचाई वाली पहाड़ी पर बने इस विश्व प्रसिद्ध भीलट देव मंदिर तक पहुंचने के लिए जो रास्ता है अभी तक कच्चा ही है लेकिन जल्द ही उसको भी बनाने की योजना चल रही है। लेकिन पता न कब तक बन कर पूर्ण होगा इतने वर्ष तो बीत गए और आगे देखो कब तक होता है ।
इसके अलावा यहां का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन सलासनेर है जो यहां से लगभग 37 किलोमीटर दूर है।
यहां आने के लिए सबसे उत्तम समय अगस्त से मार्च के बीच का सबसे अच्छा कहा जा सकता है। बरसात के दिनों में सतपूड़ा के पहाड़ों की हरियाली और पहाड़ की ऊंचाई से बादलों को छू कर देखने का एक अपना ही अनुभव होता है।