शहडोल-जयसिंहनगर रविप्रकाश शुक्ला (सुदर्शन टुडे)
लेनदेन करके ट्रैक्टर को छोड़ा या फिर कार्यवाही करके किया जप्त सबसे बड़ा सवालएक और प्रशासन के द्वारा जहाँ पर अवैध रेत माफियाओ के ऊपर नाम मात्र की कार्यवाही करके वाहवाही लूटी जाती है वहीं दूसरी और वन विभाग के कर्मचारियों के द्वारा रेत माफियाओ को खुला संरक्षण देकर के जंगल के अंदर नदी, नालो से रेत का अवैध उत्खनन खुलेआम करवाया जा रहा है और जब कभी वन विभाग के उच्च अधिकारी मौके पर पहुंच भी जाते हैं तो बीट गार्ड्स के द्वारा वन विभाग के उच्च अधिकारियों को मैनेज करके गाड़ी को जंगल से ही छोड़ दिया जाता है वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से प्रशासन को राजस्व का नुकसान तो हो ही रहा है साथ ही पुरे ग्रामीण क्षेत्रों मे आपराधिक गतिविधिया तो बढ़ ही रही है साथ ही अपराधियों के हौंसले सातवे आसमान पर है
क्या है मामला
सूत्रों के प्राप्त जानकारी के अनुसार वन परिक्षेत्र करकी के पश्चिम क्षेत्र अंतर्गत आने वाले कोठिगढ़ के जंगल मे 2 अप्रैल की रात को लगभग 3.20 मे वन विभाग की उड़नदस्ता टीम के द्वारा जिस टीम मे( दो बीट गार्ड व एक जिम्मेदार अधिकारी) ग्राम कोठिगढ़ व ठेंगरहा के जंगल क्षेत्र के अन्दर नाले से रेत का अवैध उत्खनन में लगे एक ट्रैक्टर को रोका गया और ट्रैक्टर के चालक से वन विभाग कर्मियों के द्वारा रेत के संबंध में कागज की मांग की गई लेकिन रेत अवैध होने के कारण ट्रेक्टर चालक के पास कोई भी कागज नहीं था जिसको वह वन विभाग के कर्मचारियों के समक्ष पेश कर सके रेत के संबंध में वैध कागज नहीं होने के कारण यह ट्रेक्टर मे लोड रेत तो पहली नजर में अवैध प्रतीत होती है लेकिन वन विभाग के कर्मचारियों को रात 3 बजे ऐसा कौन सा कागज ट्रैक्टर मालिक व चालक के द्वारा प्रस्तुत किया गया जिससे ट्रेक्टर मे लोड रेत वन विभाग के कर्मचारियों को वैध दिख गयी और ट्रैक्टर की जप्ती करने के वजह उसको जंगल से ही रवाना कर दिया गया वही सूत्रों की माने तो यह ट्रेक्टर अभी कुछ महीने पहले ही अवैध रेत उत्खनन में ही वन विभाग की टीम के द्वारा इसी ट्रेक्टर को ही जप्त किया गया था लेकिन जैसे ही ट्रेक्टर जंगल विभाग से कागजी कार्यवाही पूरी करके बाहर निकला तो अपने पिछले दिनों हुए नुकसान की भरपाई मे पूरी तरह से लगा हुआ है और इस अवैध काम मे रेत माफिया और भी ज्यादा सक्रिय तब हो जाते है जब इन माफियाओ को वन विभाग का पूरा खुला संरक्षण मिला रहता है
इनका क्या कहना है
इस सम्बन्ध मे जब वन परिक्षेत्र करकी के डिप्टी से फ़ोन के माध्यम से संपर्क किया गया तो उनका कहना था की हमारे जानकारी मे ऐसा कोई भी विषय नहीं आया