रंग बरसे भीगे चुनरवाली रंग बरसे.., ढ़ोल ढमाके पर थिरके हुरियारे
करेली– संगीत की पूर्ण व्यवस्था के साथ हुरिआरों की टोली निकली। रंग बरसे भीगे चुनरवाली रंग बरसे….., होली खेले रघुवीरा अवध में होली खेले रघुवीरा…, ढ़ोल ढमाके के साथ होली का लुफ्त उठाया गया। होली खेलने वालों में विनोद नेमा, संतोष रघुवंशी, विवेक खासकलम, राजेन्द्र शर्मा, प्रमोद जेन, अतुल जैन, सुरेन्द्र चौरसिया, संजू शर्मा, उदय ठाकुर जितेन्द्र गुप्ता, अखिलेश दुबे, नवनीत पारासर, राजेश सोनी, अखिलेश दुबे, राजेश नेमा, आशीष दुबे प्रमोद गुप्ता, कमलेश कौरव, आशीष गुप्ता, सचिन बडकुर, कैलाश जैन, निरंजन जैन, राजीव यादव, निरंजन जैन, मुकेश रघुवंशी, अजय चौधरी, प्रमोद नाइस अजीत जाट आदि ने पक्का रंग गुलाल लगाया।
रंग पंचमी का अपना मजा
जिसने ना खेला रंग उसका जीवन ही बेरंग है। जिले में रंग पंचमी का अपना अलग ही मजा रहता है। राह से निकलने वाले भी रंग से बच नही सके। रंगपंचमी के दिन कोई बहाना नहीं चलता। जो सामने आ गया उसे रंगों से रंग दिया। घरों से निकालकर रंग लगाने से भी गुरेज नहीं किया जाता। रंगपंचमी के दिन शहर भर में एक ही आवाज सुनाई देती है पकड़ो, रंगों अब साथ में चलों। एक बार रंग लगा देने के बाद टोली में शामिल लोग किसी को छोड़ देगें यह सोचना अपने बेकार है। सड़क, गली, कमरे के अंदर, छत पर जो जहां मिला उसे वही पकड़कर रंग से लाल पीला कर दिया।
निकली अनेक टोली
युवक आध्यात्म मंडल, प्रगतिशील संस्था, नाइट क्ल की टोली भी रंगपंचमी मनाने निकली, रंगों से खेलने के लिए विशेष अधिकार होता है। टोलियों में शामिल मित्र जब किसी के घर जाते है तो परिवार के सदस्य भी किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करते। अनेक परिवार तो ऐसे भी दिखें गए कि उनका लड़का या लड़की कहा छुपा है वह खुद ही बता देते है। रंगपंचमी पर कोई रोक टोक नहीं होती। बच्चें हो या युवा सभी रंगों के उल्लास में खोए रहते है। आमतौर पर महिलाओं को अपने चहरे को लेकर काफी चिंता रहती है। लेकिन रंगपंचमी के दिन यह चिंता हवा हो जाती है। महिलाएं समूह में वार्ड में निकलती है जो सामने आ गया उसके ऊपर रंग की बाल्टी डाल दी। महिलाएं जब होली खेलती है तो रास्ते अपने आप खाली हो जाते है। एक बार महिलाओं की होली शुरु हो जाए फिर वह तब तक चलती है। जब तक सभी महिलाओं को रंग न लग जाए। छापामार तरीके से खेली जाने वाली इस होली का अपना ही मजा है।
रंग से बचने यात्रा का सहारा
कुछ जहां रंग पंचमी का इंतजार करते है तो कुछ ऐसे भी है जो महिनों पहले ही रंग से बचने का जतन कर लेते है इसी कड़ी में 2024 में पहला नाम आता है नगर खाद्य संघ के अध्यक्ष पराग नेमा, संस्कृति की दुहाई देने वाले संतोष बनवारी व चलती गाड़ी में लटकने वाले कमलेश वाजपेयी का इनके साथ ब्रजमोहन चोकसे व रमाकांत कौरव भी रंग से बचते नजर आये। वही अनेक वो लोग है जो छिपे तो घरों में रहते है पर यह कहते नहीं थकते कि अब त्यौहार पहले जैसे बचे नहीं।
उड़ाई जमकर गुलाल
सुबह सुबह देश दुनिया की खबरों से रूबरू कराने वाले पत्र वाहक संघ, के सदस्यो ने भी गुलाल उड़ाकर रंग पंचमी मनायी। रंग के माहौल से यू तो हर कोई रंगना चाहता है लेकिन कुछ ऐसे भी है जो अपने को छुपते छिपाते है। कुछ ने नरसिंहपुर, बरमान जाने का बहाना बनाया, वहीं महिलायें भी इस पर्व को मनाने में पीछे नहीं रही। कालोनी की महिलाओ ने सामूहिक रूप से होली का आनंद लिया। एक दूसरे पर जमकर गुलाल उडाया व एक दूसरे को रंग डाला व एक दूसरे को शुभकामनाये दी। करेली में धुरेड़ी से ज्यादा रंग पंचमी की धूम रहती है। इस दिन का महिलाये, बच्चे, बुजुर्ग सभी जमकर लुफ्त उठाते है। वही पुलिस की तैनाती भी मुस्तैदी से रही।
जय ज्वाला में धूम
पूरे जोश और हर्षाेल्लास के साथ राधावल्लभ वार्ड के जय ज्वाला मार्ग, धूनी अखाड़ा मोतीनाला करेली मे भी रंग पंचमी मनाई गई। जिसमे बच्चें सम्मिलित हुए। रंग गुलाल की बौछारों से सरोबोर रहे। यहां युवाओं की टोलियां ढोल-नगाड़ों पर झूमते नजर आये। वहीं नन्हें-मुन्हें बच्चों पिं्रस, ओम, कशिश, तनिष्क, वृंदा, सिद्धी, दृश्यम, मान्याकृने जमकर हुड़दंग की। फागांे का आयोजन हुआ। जिसमें आसपास के ग्रामीणों क्षेत्र से आये लोगांे ने फागांे गाई। साथ ही गुलाल लगाकर होली और रंगपंचमी की शुभकामनायें दी।