माचलपुर :- (प्रदीप बंसल)
शासन द्वारा प्रदेश में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिऐ कई योजनाएं संचालित की जा रही है जबकि दूसरी और ग्रामीण क्षेत्र में बच्चे मूलभूत सुविधाहिन जर्जर स्कूल भवन में पढ़ने को मजबूर है । इसका ज्वलंत उदाहरण गांव बांदा देवनगर का प्राथमिक स्कूल भवन है जहा कुल 30 बालक बालिकाएं अध्यनरत है इन बच्चो को जर्जर भवन में शौचालय तो दूर की बात है टॉयलेट तक नहीं होने से बच्चो को खुले में जाने को मजबूर होना पड़ता है जिसमे लड़किया भी सम्मिलित है उक्त बात विद्यालय में अध्ययनरत विद्या वर्मा,सीमा वर्मा, पवित्रा वर्मा, मनीष नट,विशाल वर्मा ने बताई कहा की हमको खुले में टॉयलेट जाने में शर्मीदगी महसूस होती हे। आश्चर्य की बात है जहा एक और करोड़ों से भी अधिक राशि खर्च कर सीएम राइज स्कूल खोले जा रहे वही दूसरी ओर पूर्व से संचालित स्कूलों की अनदेखी शिक्षा विभाग द्वारा की जा रही हे ।जब की सरपंच प्रतिनिधि छगन गुर्जर ने उक्त विद्यालय की जानकारी शिक्षा विभाग अधिकारियों वा विधायक को भी दे दी बावजूद इस और ध्यान नही दिया गया । वैसे भी शिक्षा विभाग की उदासीनता का परिणाम है की आज शासकीय स्कूल बंद की कगार पर हे इसके पीछे कही ना कही प्रायवेट स्कूलों को प्रोहत्सान देना है । यही कारण आज सरकारी स्कूल से बच्चे निकल कुकुरमुते की भाती फलते फूलते स्कूल में जा रहे हैं वर्जन स्कूल की जर्जर स्थित की वा बच्चो के टॉयलेट खुले में जाने की लिखित में जिले से लेकर बीआरसी वा जनशिक्षा केंद्र तक लिखित में दे चुके लेकिन हर जगह से आश्वासन मिला है । नीरज कुमार शिक्षक प्रा.विद्यालय बांदा देवनगर “हमको बांदा देवनगर स्कूल के जर्जर भवन और शौचालय निर्माण का प्रस्ताव आया था उसे बीआरसी भेज दिया वहा से हमको आश्वासन मिला जल्द स्वीकृत हो जायेगा”बालचंद दांगी* जनशिक्षक संकुल माचलपुर