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धर्म श्रेष्ठ पथ पर चलते हुए किसी को कष्ट न देने की प्रेरणा देता है – वेदांती जी

सुदर्शन टुडे गंजबासौदा (नितीश कुमार)।

स्थानीय जीवाजीपुर स्थित वेदांत आश्रम में समायोजित विराट शतचंडी महायज्ञ व सरस संगीतमय श्रीराम कथा के नौवें दिन कथा वाचक स्वामी डॉ. राम कमल दास वेदांती महाराज ने कहा कि ऋषि आदिपुरुष राजा मनु तथा शतरूपा की सृष्टि के प्रारंभ में ही ब्रह्मा जी ने उपदेश देते हुए तीन अनिवार्य कर्तव्य बताएं हैं पहला एक यज्ञ दूसरा गौ सेवा तथा तीसरा ईश्वर उपासना। यज्ञ के द्वारा हम समस्त देवताओं को आहुतियां प्रदान कर उन्हें संतुष्ट करते हैं जिससे देवता प्रसन्न होकर समस्त प्राणियों को भोग सामग्रियों के साथ-साथ भौतिक सुख समृद्धि प्रदान करते हैं। यज्ञ के द्वारा विभिन्न प्रकार की महामारियां व रोगों का समाधान हो जाता है, कृषि उपज लहलहा उठती है तथा नवग्रह भी प्रसन्न होकर क्षेत्र को कल्याण करते हैं। गौ सेवा से तैंतीस कोटि देवताओं की सेवा हो जाती है क्योंकि गौ माता में समस्त देवता निवास करते हैं। यज्ञ व गौ सेवा के साथ-साथ प्रत्येक परिवार को अपने घर में भगवान का मंदिर बनाकर भगवान की सेवा अर्चना करनी चाहिए।  स्वामी जी ने कहा कि परिवार के सभी सदस्यों को दिन में कम से कम एक बार एक साथ बैठकर भोजन अवश्य करना चाहिए, जिससे हमारा परिवार संगठित होकर एक सूत्र में बंधा रहता है। संगठित परिवार ही लौकिक व पारलौकिक सुख समृद्धि को प्राप्त करते हैं। महाराज मनु ने कठोर तपस्या करके ईश्वर को पुत्र के रूप में मांगा, साथ ही उन्होंने यह भी कहा – भले ही आप हमारे पुत्र हो, फिर भी मैं अपने पुत्र में ईश्वर दर्शन करते हुए प्रभु प्रेम में पड़ा रहूं। स्वामी वेदांती जी ने बताया कि धर्म हमें श्रेष्ठ पथ पर चलते हुए किसी को कष्ट न देने की प्रेरणा देता है। यदि ईश्वर ने आपको अधिक सुख समृद्धि दी है तो अपने परिवार से बाहर निकल कर दूसरे अभावग्रस्त लोगों को मदद करके उन्हें आगे बढ़ाने में मदद करना चाहिए। धर्म की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि धर्म केवल पाठ पूजा का नाम ही नहीं है। हमारा शरीर जिन पांच तत्वों से बना है उनके लक्षण हमारे जीवन में प्रकट होने चाहिए, जल का काम शीतल है तो हमारे जीवन में भी शीतलता होनी चाहिए। अग्नि की तेजस्विता तथा वायु की आसक्ति रहित वृत्ति हमारे जीवन में प्रत्यक्ष दिखाई देनी चाहिए। आकाश की व्यापकता एवं पृथ्वी का क्षमा गुण जब हमारे जीवन में आ जाएगा तो धर्म की लड़ाई झगड़ें अपने आप ही शांत हो जाएंगे। प्रभु राम का जन्म उत्सव पूर्वक मनाया श्रीराम के जन्म की कथा में संपूर्ण वेदांत आश्रम परिसर की अद्भुत सजावट की गई। संपूर्ण पंण्डाल गुब्बारों की सजावट से शोभायमान हो रहा था। कथा में वाराणसी के संगीतज्ञ कलाकारों द्वारा बधाइयां गाई गई। आश्रम के महंत श्री हरिहर दास जी ने बड़े उत्साह के साथ बच्चों में टाॅफी व गुब्बारें बांट कर श्री राम जन्म को मनाया। तो वही कथा श्रवण करने झांसी उ.प्र. से आई किन्नर लता द्वारा सिर पर प्रज्ज्वलित अग्नि को स्थापित कर अद्भुत नृत्य प्रस्तुत किया गया। शतचंडी महायज्ञ के द्वारा संपूर्ण वेदांत परिसर में वैदिक काल सा दृश्य हो चुका है। वहीं नौ देवियों की झांकी एक साथ एक ही परिसर में नव शक्तिपीठों की आभास कर रही है, जिनके दर्शन पूजन और परिक्रमा कर के श्रद्धालु लाभान्वित हो रहे हैं।

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