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नेशनल लोक अदालत में राजीनामा प्रक्रिया ने लुभाया मन, हुआ अनगिनत मामलों का निराकरण, मिटी लोगों की उलझन।

पचोर (हरीश भारतीय) सुदर्शन टुडे।

यूं तो नेशनल लोक अदालत का आयोजन निर्धारित समयावधि में होता ही रहता है, किंतु जब कुछ विशेष होता है, वह यादगार बन जाता है, इसी तारतम्य में शनिवार को जिला न्यायालय परिसर में आयोजित हुई वर्ष 2023 की अंतिम एवं चतुर्थ नेशनल लोक अदालत में उक्त परिदृश्य चरितार्थ हुआ, जिसमें कि अधिसंख्य विवादों के पक्षकार नेशनल लोक अदालत में खंडपीठों के समक्ष राजीनामा से विवादों के हल निकालने के लिये आतुर दिखे। नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ कार्यक्रम जिला न्यायालय परिसर राजगढ़ स्थित ए.डी.आर. भवन के सभाकक्ष में प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला न्यायालय- राजगढ़ राजीव कर्महे की अध्यक्षता रखा गया। इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में जिला राजगढ़ के कलेक्टर हर्ष दीक्षित एवं पुलिस अधीक्षक धर्मराज मीणा उपस्थित रहे। इस अवसर पर जिला न्यायालय राजगढ़ के विशेष न्यायाधीश, कुटंब न्यायाधीश सहित समस्त खंडपीठों के पीठासीन न्यायिक अधिकारी के रूप में जिला एवं सत्र न्यायाधीश, व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ एवं कनिष्ठ खंड, अधिवक्ता संघ राजगढ़ के अध्यक्ष सहित सहयोगी अधिवक्ता, लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम कार्यालय के समस्त डिफेंस काउंसिल, बैंक, नगरपालिका, विद्युत विभाग, बी.एस.एन.एल आदि विभागों के पदाधिकारी सहित जिला न्यायालय राजगढ़ से संबंद्ध समस्त अधिकारी, कर्मचारी व पैरालीगल वालेंटियर्स उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन जिला विधिक सहायता अधिकारी सिमोन सुलिया ने किया। एवं कार्यक्रम का आयोजन व समन्वय जिला न्यायाधीश एवं सचिव मीनल श्रीवास्तव द्वारा किया गया।शुभारंभ कार्यक्रम के अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा अपने उद्बोधन में आमजनों के हित को दृष्टिगत एवं लंबित मामलों को निराकृत कराये जाने व नेशनल लोक अदालत से अति-उत्तम परिणाम प्राप्त करने हेतु विशेष प्रयास करने के लिये सर्वसंबंधितों से विचार व्यक्त किये गये।इसी प्रकार पुलिस अधीक्षक राजगढ़ द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अवधारणा को साकार करने के क्रम में नेशनल लोक अदालतों के महत्व पर प्रकाश डाला गया। साथ ही जिला कलेक्टर राजगढ़ द्वारा सभी विभागों से पूर्ण सहयोग दिलाये जाने के बारे में आश्वासन दिया गया ताकि, नेशनल लोक अदालत के माध्यम से अधिकाधिक मामलों का निराकरण हो सके।विशेष मामलों का विवरण जिला एवं सत्र न्यायाधीश राघवेन्द्र श्रीवास्तव की खंडपीठ द्वारा 01 मोटर दुर्घटना दावा मामले में 05 लाख रूपये राशि का अवार्ड पारित कर पक्षकरों में समझौता कराया गया। दोनों पक्षकार नेशनल लोक अदालत पूर्व कैसे भी सहमत नहीं हो रहे थे जब खंडपीठ के पीठासीन अधिकारी राघवेन्द्र श्रीवास्तव द्वारा पक्षकार हित में सहज एवं सुविधापूर्वक दृष्टिकोण अपनाते हुये उचित सलाह प्रदान करने पर दोनों ही पक्षकार स्वतः नेशनल लोक अदालत का लाभ प्राप्त करने हेतु सहमत हुये। इस अवसर पर पीठासीन अधिकारी द्वारा पक्षकारों को फलदार पौधे भेंट कर अच्छा जीवन व्यतीत करने की शुभकामनायें भी दीं।इसी क्रम में जिला न्यायालय की अन्य खण्डपीठ के पीठासीन अधिकारी व व्यवहार न्यायाधीश सचिन जैन के द्वारा धारा 138 लिखत परक्राम्य अधिनियम के 01 प्रकरण में 01 लाख रूपये राशि के आपसी लेन-देन के प्रकरण को नेशनल लोक अदालत में रखे जाकर व दोनों पक्षकारों को समझाया गया कि आपसी भूल-चूक को भुलाकर अपने रिश्ते मजबूत करें, आपसी रिश्तों में गांठ न पड़ने दें और सौहार्दपूर्वक एक दूसरे को गले लगायें। इस पर पीठासीन अधिकारी के समक्ष ही देनदार पक्ष द्वारा नकद राशि का भुगतान किया गया। इस अवसर पर सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मीनल श्रीवास्तव की उपस्थिति में दोनों पक्षों को गले मिलवाकर फलदार पौधे भेंट किये। उक्त पीठ के द्वारा एक अन्य प्रकरण में आपसी लड़ाई झगड़े के 01 वर्ष पूर्व के प्रकरण में दोनों के मध्य गिले-शिकवे दूर कराये जाकर आपसी सहमति से सुलह कराकर मामला निराकृत कराया गया।खंडपीठों द्वारा निराकृत मामलों का विवरण शनिवार को नेशनल लोक अदालत के आयोजन अंतर्गत विवादों के निराकरण के लिये जिला स्तर पर 08 एवं तहसील स्तर पर 19 इस प्रकार कुल 27 खंडपीठों का गठन किया गया है। गठित की गई खंडपीठों द्वारा न्यायालयों में लंबित आपराधिक राजीनामा योग्य प्रवृत्ति के 1476 में से 396, एन आई एक्ट के 591 में से 98, मोटर दुघर्टना दावा के 186 में से 30, विद्युत बिल बकाया के 275 में से 80, वैवाहिक विवाद के 452 में से 142, अन्य सिविल प्रवृत्ति के 181 में से 4 व शेष अन्य प्रवृत्ति के 266 में से 74 एवं मामले सुलझाये गये। इस प्रकार कुल 3425 प्रकरणों में से लगभग कुल 824 प्रकरणों का निराकरण किया गया। कुल 2121 व्यक्तियों को लाभान्वित कर कुल 30971775 रूपये की राशि के अवार्ड पारित किये गये। न्यायालयों में प्रस्तुत होने से पूर्व की प्रकृति के प्रीलिटीगेशन स्तर के प्रकरणों में बैंक ऋण वसूली के 2428 में से 81 विद्युत बिल के 3868 में से 400 जलकर बकाया के 1345 में से 183, वैवाहिक विवाद के 15 में से 12 एवं अन्य प्रकरणों के 596 में से 29 प्रकरण सुलझाये गये। इस प्रकार कुल 8252 रखे गये प्रकरणों में से 705 कुल प्रकरणों का निराकरण किया गया। कुल 893 व्यक्तियों को लाभान्वित कर कुल 9783556 राशि के अवार्ड पारित किये गये।

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