सोंदडी में हुवा था करोड़ो का भ्रष्टाचार
मनासा की जनता ने दिए वोट कॉलेज मंदसौर में खोले नाहटा ने मनासा।मध्यप्रदेश में चुनावी शंखनाद के साथ सभी पार्टियों ने अपने विधानसभा प्रत्याशी घोषित कर दिए है। माना जा रहा है कुछ सीटे ऐसी है जहाँ प्रत्याशी को लेकर बगावत के सुर तेज होते जा रहे है। इसको लेकर कांग्रेस ने कुछ सीटों पर अपने प्रत्याशियों को भी बदला है।मालवा अंचल के नीमच जिले की मनासा विधानसभा की यदि बात की जाए तो यहा कांग्रेस पार्टी ने अपने प्रत्याशी के रूप में नरेंद्र नाहटा को चुनावी मैदान में उतारा है। वही भाजपा ने पुनः अनिरुद्ध माधव मारू को अपने प्रत्याशी के रूप में टिकिट दी है।विधानसभा 228 मनासा में कांग्रेस ने जिस प्रत्याशी को अपना उम्मीदवार बनाया है उन्होंने पहली बार 1884 में विधानसभा मनासा से चुनाव लड़े थे।और जीते भी थे।दूसरा चुनाव 1990 में हारने के बाद फिर 1993 में तीसरा चुनाव लड़ कर जीते थे। चौथा चुनाव 1998 में लड़े ओर फिर जीत हासिल की। उसके बाद 2003 में पांचवा चुनाव लड़े ओर हारे।हारने के बाद पिछले कई सालों से क्षेत्र की जनता से अपना नाता तोड चुके है। नहाटा अब फिर 2023 में इसी विधानसभा मनासा से फिर अपना छठा चुनाव लड़ते नजर आ रहे है।ज्ञात हो कि 2018 विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने मनासा विधानसभा में नाहटा को ही अपना उम्मीदवार तय किया था। टिकिट होने के बाद आठ दिन मनासा में अपना डेरा जमाने के बाद जैसे ही भाजपा के प्रत्याशी के रूप में अनिरुद्ध माधव मारु को टिकिट दी।तो नाहटा अचानक यहां से भागते नजर आए। ओर मनासा विधानसभा से चुनाव ना लड़ते हुवे। मंदसौर विधानसभा के लिए अपने शीर्ष नेतृत्व के सामने जाकर गिड़गिड़ाए और मंदसौर विधानसभा से चुनाव लड़ें।और उसका नतीजा यह हुवा की कांग्रेस को नीमच जिले की तीनों विधानसभा अपने हाथों से गवानी पड़ी।ओर नाहटा भी खुद हार गए।कहने को तो नहाटा हमेशा कहते है कि में यही मनासा का स्थानीय निवासी हु।तो फिर चुनाव के समय क्यो आखिर मकान किराए पर लेने की नोबत आ जाती है।सही मायने में देखा जाए तो नाहटा ने मंदसौर को वो सब कुछ दिया उसकी मनासा विधानसभा वास्तव में हकदार थी।वर्ष 1998 में जब नरेन्द्र नाहटा विधानसभा 228 से विधायक बने थे तब उनके द्वारा सोंदडी पंचायत के जोडमी में करोड़ों रुपए की योजना को पलिता लगाकर जमकर भ्रष्टाचार किया। चम्बलेश्वर योजना जो जावद विधानसभा के डिकेन के लिए पास हुवी थी। जल परियोजना जिसमें अपनी टांग फसाते हुए अपना नाम करवाया और डकार भी नहीं ली। जब कि यह योजना भाजपा विधायक स्व.राधेश्याम लढा कि देन से प्रस्तावित हुई थी। इंजिनियरिंग कॉलेज जो विधानसभा मनासा के लिए पास हुआ वो खुद के लिए अपना निजी करते हुए मंदसौर में सरकारी जमीन भी हड़पी निजी कॉलेज चला रहे।नाहटा के कार्यकाल की पुरानी ऐसी कई योजना कागजों में चलाई पर जमीनी हकीकत ओर कुछ बया करती है।झारड़ा का रेतम बैराज बांध भी याद रखने जैसा है।वही भाजपा के स्व.सुंदरलाल पटवा के खेत तक चलने वाली खानखेड़ी उत्थान परियोजना में भी लाखो रुपए का भ्रष्टाचार किया गया। जिस विधानसभा ने नहाटा को कई बार विधायक ओर कैबिनेट मंत्री तक बनाया उनके साथ ही छलावा करने वाले नहाटा आज फिर क्षेत्र के विकास की बात करते गाँव गाँव नजर आ रहे है।इतने लम्बे राजनीति समय मे नहाटा यदि क्षेत्र में विकास करते तो आज अपनी योजनाओं और विकास के नाम पर वोट मांगते। चर्चा चौराहे की- शहर के चौराहों पर ऐसी चर्चा आम तौर पर देखने और सुनने को मिल जाती है की नहाटा ने अपने पिछले वर्षों में बस मनासा विधानसभा का शोषण किया है। ओर विकास क्षेत्र और जनता का नही बल्कि मंदसौर में ओर अपने खुद का किया है। ओर इस बार भी यदि नाहटा जीत गए तो जीत के बाद फिर से मंदसौर चले जाएंगे।और मनासा विधानसभा फिर से दलाली प्रथा से चलाई जाएगी।