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कभी गुजरात में सोडा बेचते थे Vadilal Gandhi, आज पीढ़ियां चला रही हैं 650 करोड़ की आइसक्रीम कंपनी आज़ादी से पहले 1907 में गुजरात में स्थापित हुई इस कंपनी ने भारतीयों के साथ स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी है.

जब भी कभी ठंडा और मीठा एक साथ खाने का मन करता है, तो हमारी ये क्रेविंग मिटाने वाली सिर्फ़ आइसक्रीम ही होती है. इसके साथ ही अगर वाडीलाल (Vadilal) कंपनी की आइसक्रीम मिल जाए, फिर तो सोने पर सुहागा वाली बात हो जाती है. ये एक ऐसी कंपनी है, जो दशकों से हमारे साथ रही है. आज़ादी से पहले 1907 में गुजरात के वाडीलाल गांधी द्वारा इसी राज्य में स्थापित हुई इस कंपनी ने भारतीयों के साथ स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी है. आज भी चाहे मूड ख़ुश हो, ब्रेकअप हुआ हो, बॉस से डांट पड़ी हो या फिर क्रश का मैसेज आया हो, हर पल में Vadilal की आइसक्रीम हमारा साथ देती है.

आज कस्टमर्स को ये 200 के क़रीब अलग-अलग फ़्लेवर्स ऑफ़र करती है. इसके साथ ही दुनिया के 45 देशों में इसको लोग बेहद चाव से खाते हैं. आइए आज हम आपको इस कंपनी से जुड़ा पूरा इतिहास बताते हैं. 

कंपनी के मालिक ने सोडा बेचने से की थी शुरुआत 

Vadilal ब्रांड शुरू से ही आइसक्रीम ब्रांड नहीं थी. इस ब्रांड के मालिक वाडीलाल गांधी ने सोडा बेचने से अपने बिज़नेस की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने अपने व्यापार में आइसक्रीम को भी जोड़ लिया. हालांकि, इनका बिज़नेस तब आगे बढ़ना शुरू हुआ, जब उनके बेटे रणछोड़ लाल गांधी भी इसमें हाथ बटाने लगे. वो रणछोड़ की ही लीडरशिप का नतीज़ा था कि वाडीलाल आइसक्रीम पर ज़्यादा फ़ोकस करने लगे.

साल 1926 में खोला पहला आउटलेट

जब उनका बिज़नेस धीरे-धीरे मार्केट में पैर पसारने लगा, तब वाडीलाल ने साल 1926 में अपनी पहली आइसक्रीम आउटलेट की नींव रखी. उन्होंने जर्मनी से आइसक्रीम बनाने के लिए मशीन आयात करवाई. भारत की आज़ादी तक कंपनी ने अपने चार आउटलेट्स खोल लिए थे. 70 के दशक में रणछोड़ लाल के बेटों रामचंद्र और लक्ष्मण ने भी ये बिज़नेस ज्वाइन कर लिया, जिसके बाद अहमदाबाद में कंपनी के 10 आउटलेट खुल गए. उनकी आइसक्रीम की ख़ासियत ये थी कि ये 100 प्रतिशत शाकाहारी थी और व्रत के मौकों पर भी इसे आराम से खाया जा सकता था.

पीढ़ियों ने बढ़ाया बिज़नेस का दायरा

70 के दशक में कंपनी गुजरात में एक बड़ा नाम बन चुकी थी. अब इसके मालिक इसका दूसरे राज्यों में विस्तार करने के बारे में सोचने लगे. 1990 तक गांधी फ़ैमिली की चौथी पीढ़ी ने भी इस बिज़नेस में ख़ुद को शामिल कर लिया. इसमें रामचंद्र गांधी के तीन बेटे वीरेंद्र, राजेश और शैलेश व लक्ष्मण गांधी का बेटा देवांशु गांधी शामिल हो गए. इसी दौरान कंपनी का नाम बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की लिस्ट में वाडीलाल इंडस्ट्रीज़ प्राइवेट लिमिटेड के नाम से आ गया. इसी दौरान गांधी फ़ैमिली के बीच बंटवारा हो गया और कंपनी को दो अलग-अलग नाम मिल गए. आज इस कंपनी का क़रीब 650 करोड़ का रेवेन्यू है.

इको-फ्रेंडली है कंपनी

इस कंपनी के CFO और राजेश गांधी के बेटे कल्पित गांधी अपने एक  इंटरव्यू में बताते हैं कि उनकी हर सुविधा में क़रीब 60 प्रतिशत का ग्रीन कवर है. इसका सारा वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में जाता है और बगीचे व लॉन के लिए यूज़ किया जाता है. वाडीलाल ऐसी पहली कंपनी है, जिसने आइसक्रीम डॉलीज़, कोंस और सन्डेज़ को भारत में लॉन्च किया था. नवंबर 2001 में वाडीलाल ने सबसे बड़ी आइसक्रीम बना के लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया था. यह आइसक्रीम संडे 4,950 लीटर आइसक्रीम, 125 किलो सूखे मेवे, 255 किलो ताजे फल और 390 लीटर विभिन्न प्रकार के सॉस का उपयोग करके बनाई गई थी. इस संडे को 180 लोगों ने रिकॉर्ड 60 मिनट में एक साथ रखा था. इसके अलावा कंपनी ‘Vadilal Quick Treat’ नाम से प्रोसेस्ड फ़ूड भी बनाती है.

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