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MANDLAमध्य प्रदेश

कुंवर शंकर शाह व रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर कार्यक्रम का किया आयोजन जिला पंचायत सदस्य ने की जनसभा

 

 

सुदर्शन टुडे न्यूज जिला ब्यूरो चीफ हीरा सिंह उइके की रिपोर्ट

 

मंडला। जनपद पंचायत घुघरी की ग्राम पंचायत बनेहरी में सोमवार को शंकर शाह एवं कुंवर रघुनाथ शाह का बलिदान दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर जिला पंचायत सदस्य श्रीमति कौशल्या मरावी रही। सर्व प्रथम शंकर शाह, कुंवर रघुनाथ शाह के तैल्यचित्र पर माल्यार्पण करते हुए दीप प्रज्वालित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मनीराम मरावी सरपंच ग्राम पंचायत बनेहरी ने की। वहीं विशिष्ट अतिथि के तौर पर सोमा सिंह धुर्वे भूतपूर्व सरपंच एवं चोबाराम मरावी व गन्नों बाई धुर्वे भूतपूर्व सरपंच सहित अन्य अतिथि ने की। कार्यक्रम के दौरान अतिथियों का पीले चावल और गमछा से स्वागत किया गया। इस अवसर पर श्रीमति कौशल्या मरावी ने उपस्थिति जनो को संबोधित करते हुए कहा कि महाराजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान से राष्ट्रवाद की भावना का उदय हुआ। हम कभी यह भी याद करें कि 1857 का अंग्रेजों का काल कितना कष्टप्रद रहा होगा। इन महान बलिदानियों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया होगा। महापुरुष किसी एक समाज या जाति का नहीं होता है बल्कि वह सर्व समाज और संपूर्ण मानव जाति का होता है उनका एक लक्ष्य था संपूर्ण राष्ट्र को स्वतंत्रता दिलाना। उन्होंने किसी जाति या समाज विशेष के लिए काम नहीं किया बल्कि संपूर्ण राष्ट्र के लिए काम किया। 1857 का वह काला दिन था जब उन्हें तोप के सामने बांध कर उड़ा दिया गया। मातृभूमि की रक्षा के लिए उन्होंने हंसते-हंसते अपनी जान दे दी। लेकिन शीश नहीं झुकाया। इसके अलावा उन्होंने अनेक बाते कहीं। उन्होंने हंसते-हंसते अपनी जान दे दी, लेकिन शीश नहीं झुकाया। इसके अलावा उन्होंने अनेक बाते कहीं। उपस्थित जनों इन महापुरुषों के चित्र पर पुष्प अर्पित कर इन्हें याद किया। गोंडवाना राज्य के महाराजा शंकर शाह ने अंग्रेजों के विरुद्ध बिगुल फूंक दिया। उन्होंने अंग्रेजों की रेजीमेंट पर हमला कर दिया। शंकरशाह के इस कदम से अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर और विद्रोह न भडक़े इसलिए शंकरशाह को तोप से उड़ाने का फरमान जारी कर दिया। अंतिम इच्छा पूछे जाने पर शंकर शाह ने एक देशभक्ति और ओज की कविता सुनाई जिससे उपस्थित समूचे जनसमूह में जोश और उत्साह भर गया। गोंडराज्य के राजा थे शंकर शाह वर्तमान मध्यप्रदेश के महाकौशल अंचल में फैला गोंड राज्य उस वक्त एक समृद्धशाली राज्य था। राजा शंकर शाह के पिता का नाम राजा सुमेर शाह था 1789 में शंकर शाह का जन्म हुआ था। उस समय राजा सुमेर सिंह मराठों के बंदी होकर सागर के किले में कैद थे, रानी बेटे शंकर शाह के साथ राजधानी गढ़ा पुरवा में आकर रहने लगी थीं। शंकर शाह जंगल में बांस छीलकर नुकीले बाण तैयार करने लगे उन्हें देख आसपास के गोंड बालक भी जुड गए। धनुषबाण से वे निशानेबाजी का अभ्यास करने लगे थे कि दिनों में उनकी एक मित्र मंडली तैयार हो गई। कार्यक्रम के दौरान पूर्व उपसरपंच मिश्री लाल धुर्वे, पूर्व सरपंच गन्नों बाई धुर्वे, कोटवार चन्द्रेश कुमार बैरागी, गनपतियां बाई मरावी उपसरपंच, दयावती बाई पंच, सुमित्री मरावी, सुमंती बाई मोबाईजर, सुजला बाई, प्रेमवती कनोजे, रामबाई सेवकली कनोजे, कमल सिंह धुर्वे, मेवा लाल, रामचरण धुर्वे, रमेश धुर्वे, गनपतियां बाई पंच, बिगरो बाई मरावी, दयावती धुर्वे, तिहरो बाई मरावी, भविया मरावी, फूलवती मरावी, द्रोपती धुर्वे, बुद्धू सिंह बट्टी, लाल सिंह यादव, केहर सिंह धुर्वे, मिश्री लाल रहे। कार्यक्रम में बावन गढ़ी सांस्कृतिक लोक कला मंच पुरख के सुरता ग्राम नये गांव ब्लॉक मवई द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यहां पर गायक धनसिंह परते, गायिका वंदना कुलदीप, संदीप करचाम, प्रताप धुर्वे, जीवन तांडिया, फूल सिंह कुलस्ते, अनूप नंदा, करण धुर्वे, ममता, संजना आर्मो, रामवती सरोते, श्याम धुर्वे ने उपस्थितजनों का मनमोह लिया।

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