जिला ब्यूरो चीफ आनन्द साहू
शगुफ्ता खान ने बताया गुरु शिष्य परंपरा की क्या होती है
झांसी : सोमवार को जिले में लोगों ने अपने दिन की शुरुआत गुरु के आशीर्वाद के साथ की। इसके साथ ही श्रद्घालुओं ने गुरु दर्शन कर पूजन-अर्चन की।गुरुपूर्णिमा पर्व सादगी के साथ सोमवार को जगह-जगह मनाया गया। वही शहर के सी. पी. मिशन कंपाउंड बेसिड्स सर्व नगर कॉलोनी गेट नं. 1 स्थित शगुफ्ता डांस स्टूडियो में पूजा अर्चना कर गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु शिष्य परंपरा के अनुसार गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया और बच्चों द्वारा सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए गए और इसके बाद गुरु परंपरा के अनुसार बच्चों को गुरु दीक्षा दी गई भारतीय संस्कृति में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है, यह अध्यात्म-जगत की सबसे बड़ी घटना के रूप में जाना जाता है। पश्चिमी देशों में गुरु का कोई महत्व नहीं है, वहां विज्ञान और विज्ञापन का महत्व है परन्तु भारत में सदियों से गुरु का महत्व रहा है। यहां की माटी एवं जनजीवन में गुरु को ईश्वरतुल्य माना गया है, क्योंकि गुरु न हो तो ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग कौन दिखायेगा? गुरु ही शिष्य का मार्गदर्शन करते हैं और वे ही जीवन को ऊर्जामय बनाते हैं। जीवन विकास के लिए भारतीय संस्कृति में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई है शिक्षक कई हो सकते हैं लेकिन गुरु एक ही होते हैं। हमारे धर्मग्रंथों में गुरु शब्द की व्याख्या करते हुए लिखा गया है कि जो शिष्य के कानों में ज्ञान रूपी अमृत का सींचन करे और धर्म का रहस्योद्घाटन करे, वही गुरु है वहीं शगुफ्ता डांस स्टूडियो में गुरु शिष्य परंपरा के अनुसार गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर गुरु शगुफ्ता खान और निधि झा द्वारा बच्चों को गुरु दीक्षा दी गई जिसके बाद और रंगारंग कार्यक्रम किए गए जिसमे मोनिका,आशिवी, काशवी, कान्या,आरना, आरान्या, ओजश्विनी, ऋषिका,एंजेल, आरोही अग्रवाल, चिराग,आरोही सोनी पीहू,साक्षी, दीया, वानी,आध्या,मनु, प्रिशा, स्तुति, अनुकृति, मिराया, कृपा आदि बच्चे उपस्थित रहे