अनूपपुर, मध्यप्रदेश। जिले के अनूपपुर जनपद पंचायत अंतर्गत दर्जनों पंचायतों की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर हो चली है, सीईओ के कुर्सी पर बैठे अधिकारी के पास अनुभव न होने या फिर मनमानी के कारण भ्रष्टाचार चरम पर है, सचिव और अन्य कर्मचारी बेलगाम हैं, वहीं निर्माण कार्याे की समीक्षा व मूल्यांकन करने वाले उपयंत्री वेतन को तरस रहे हैं, इस संदर्भ में सीईओ के द्वारा किसी भी प्रकार की पहल न करने से अब उपयंत्रियों में असंतोष बढ़ता जा रहा है, जनपद में बीते सप्ताहों में हुई बैठकों के दौरान यह समस्या भी उठाई गई थी, लेकिन सीईओ ने वेतन रिलीज करने का आश्वासन देकर मामले को बीच में ही अटका दिया।
3 माह से अटका वेतन :
बीते नवम्बर माह से उपयंत्रियों का वेतन जारी नहीं किया गया है, इस संदर्भ में कलेक्टर तक शिकायत की गई, लेकिन वेतन जारी कर देने की भ्रामक जानकारी देकर मामले को हर बार टाल दिया जाता है, जिले की अन्य जनपदों में पदस्थ उपयंत्रियों का वेतन जारी हो रहा है, लेकिन यहां खुद उपयंत्रियों का वेतन रोककर उन्हें भ्रष्टाचार के माध्यम से रूपया कमाने का रास्ता दिखाया जा रहा है, यही नहीं आरोप यह भी है कि उपयंत्री जब इस संदर्भ में सीईओ से चर्चा करना चाहते हैं तो, उनसे सीधे मुंह बात तक नहीं की जाती।
एपीओ बना केन्द्र बिन्दु :
जनपद पंचायत में पदस्थ रावेन्द्र सिंह आर्य नामक एपीओ इन दिनों ऑफ रिकार्ड सीईओ बने हुए हैं, उनके द्वारा सचिवों के साथ ही उपयंत्रियों आदि पर चहेते ठेकेदारों को काम देने का दबाव डाला जाता है, यही नहीं सीईओ मैडम के डिजिटल अधिकार आदि की आईडी भी अपने पास रखी हुई है और पूरी जनपद को अपने इशारे पर चलाया जा रहा है, तथाकथित रावेन्द्र नामक एपीओ की कारगुजारियां एक दशक पहले निगम नामक बाबू के समय की यादें ताजा कर रही हैं।
एपीओ ने कहा…आपरेटर नहीं क्या करें :
उपयंत्रियों के वेतन जारी न होने के संदर्भ में जब मुख्य कार्यपालन अधिकारी ऊषा किरण गुप्ता से संपर्क किया गया तो, उन्होंने बाद में चर्चा करने की बात कही, वही एपीओ रावेन्द्र सिंह आर्य ने बड़ी बेबाकी से बताया कि जनपद पहले डीएससी नहीं थी, बाद में ऑपरेटर नहीं है, इस कारण वेतन नहीं मिल रहा है, हालाकि फरवरी माह का वेतन इस बीच जारी हुआ, वह कैसे हुआ, यह एपीओ नहीं बता पाये, सवाल यह भी उठता है कि एपीओ-मैडम सीईओ के जनसंपर्क अधिकारी बने हुए है, मैडम की डीएससी भी एपीओ ही संचालित करते हैं, जिस बेबाकी से एपीओ ने पूरे मामले में बयान दिये और सीईओ मैडम ने बयानों से किनारा किया, उससे इस बात की पुष्टि तो होती है कि उन पर जनपद चलाने के जो आरोप लग रहे हैं वे, शायद गलत नहीं है।