सुदर्शन टुडे ब्यूरो रिपोर्ट दुर्गाशंकर सिंह
बलिया जिला मुख्यालय से करीब चालीस किलोमीटर की दूर बक्सर और गाजीपुर की सीमा पर गंगा नदी के उत्तरी तट पर स्थित मां मंगला भवानी का प्राचीन मंदिर सदियों से श्रद्धालुओं के लिए श्रद्धा का केंद्र है नवरात्र में मां दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है 18 76 में बलिया की जगह गाजीपुर जिला था उस समय यह स्थान कोरंटाडीह तहसील में निर्माण कार्य के दौरान एक अंग्रेज़ अधिकारी ने मां मंगला भवानी के रूप में पुजे जा रहे देवी प्रतिमा को उखाड़वाकर गंगा नदी में फेंका दिया कहते हैं उसके बाद उसके बड़े बेटे का निधन हो गया और उसके अस्तबल के घोड़े मरने लगे एक रात उसे सपना दिखा की देवी प्रतिमा को तत्काल निकलवा कर नियत स्थान पर स्थापित करवाये नहीं तो उसका सर्वनाश हो जाएगा इस पर उस अधिकारी ने तत्काल उजियार गांव के दरगाही यादव से प्रतिमा को निकलवाया कर उनके स्थान पर स्थापित करवाया इसके बाद से अंग्रेज अधिकारी इस हालात से ऊबर पाया, मन्नत पूरी होने पर कारोबारी ने बनाया भव्य मंदिर बलिया मां मंगला भवानी का पूजन अर्चन पहले एक छोटे से बने कमरे में होता था करीब दो दशक पूर्व बक्सर का संतोष नामक एक कारोबारी मां का दर्शन करने आया और संतान प्राप्ति की मन्नत मांगी उसकी मन्नत पूरी होने पर कारोबारी ने मां के छोटे से कमरे को तोड़वाया और वहां मंदिर बनवाया जो आज मंदिर भव्य रूप ले चुका है मां मंगला भवानी के दर्शन मात्र से ही सारे दुख दूर हो जाते हैं नवरात्र में ही नहीं बल्कि अन्य अवसरों पर दर्शन पूजन को दूरदराज से यहां लोग आते हैं ऐसा माना जाता है कि सच्चे मन से मां मंगला भवानी का जो भी पूजन अर्चन करता है मां उसकी हर मनोकामना पूर्ण करती हैं