संवाददाता। सुदर्शन टुडे सिलवानी
सिलवानी ।।अंचल के ग्राम मुआर में श्री जगदम्बा की प्राण प्रतिष्ठा के चौथे वर्षगाठ पर ग्रामवासियों द्वारा श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। बापौली धाम मांगरोल से पधारे हुए ब्रह्मचारीजी महाराज ने छटवे दिवस श्रीमद् भागवत कथा का वाचन करते हुए कहा की।
सेवा धर्म से ही मानव भगवान की प्राप्ति कर सकता है। इष्टसेवा,समाज सेवा, गौ सेवा, या किसी पद पर है,व्यवसाई है, कृषक है,जो धर्म और शास्त्र के अनुसार सेवा कर रहा है। वह भगवान की ही सेवा के समान है।
श्री ब्रह्मचारी जी महाराज ने कहा की जीव मानव सेवाधर्म के द्वारा जो चाहे वो प्राप्त कर सकता है। अत भजन का मतलब भी सेवा है।
वास्तविक मौज संसार के बुरे कर्मो में नहीं है,जो मानव आज के युग में लगा हुआ है। वास्तिक मौज तो भगवान भजन में है।धर्म पूर्व सेवा करने में है।जीव बुरी संगति छोड़ दे, अच्छे कर्म करो,सत्संग का श्रवण करो, अच्छा सुनो,अच्छा देखो,और अच्छा बोलो, जब इतना जीव करने लगेगा तो उसका मन भी भगवान भजन में लगने लगेगा।
श्री महाराजजी ने कहा की।
याद रखो जब तक पुण्य है।जब तक ही संसार के सुख है। ये संसार मोह माया है।संसार की चमक, दमक में जीव लगा हुआ है।जब तक पुण्य धर्म है,जब तक संसार में सुख भोगोगे,धन संपदा का। पर भगवान धाम जाने के लिए न तो धन की जरूरत है ना किसी संपदा की जरूरत है। न किसी सत्ता की जरूरत है। वहा तो तुम्हारे द्वारा धर्म भजन सेवा से जो कमाया हुआ पुण्य है उस से ही आत्मा को शांति मिलेगी और श्रीहरी के दर्शन प्राप्त होंगे।
अत जीव को भगवान भजन का आश्र्य लेना चाइए भगवान भक्ति करना चाइए। जीव बस भोग,विलास गलत संगत गलत कर्म आचरण,व्यवहार छोड़ दे भगवान उसी से प्रसन्न हो जाते है।।