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प्रदेश का पहला फिकल स्लज प्लांट बनकर तैयार: 15 किलोमीटर दायरे की ग्राम पंचायतों का कलस्टर बनाकर शुरू किया काम

सुदर्शन टुडे समाचार जिला ब्यूरो चीफ रामेशवर लक्षणे बैतूल

बैतूल के हरन्या पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रदेश का दूसरा फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है । इस ट्रीटमेंट प्लांट में मल और कीचड़ प्रबंधन किया जाएगा। 15 किलोमीटर दायरे की ग्राम पंचायतों का एक कलस्टर बनाकर इसे शुरू किया गया है, जिसमें लगभग 2000 शौचालयों का स्लज प्रबंधन किया जाएगा।

गंदगी से मुक्ति के लिए यह ट्रीटमेंट प्लांट महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला प्रोजेक्ट बन जाएगा। केंद्र सरकार ने स्लज ट्रीटमेंट के लिए योजना की शुरुआत की थी। इसी के तहत इसे तैयार किया जा रहा है। इस प्लांट में फिकल स्लज से खाद बनाई जाएगी।

हरन्या सरपंच सचिन साहू ने बताया की शौचालय के सेप्टिक टैंक 3 से 5 साल में खाली किए जाने चाहिए, लेकिन आमतौर पर ऐसा करवाया जाता नहीं है। इसे खाली करवाया जाता भी है, तो इससे निकलने वाले मानव मल को नदी नालों के किनारे या खेत में डाल दिया जाता है। इससे गन्दगी फैलती है। अब इस स्लज को ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए परिष्कृत कर खाद बनाने की योजना शुरू की गई है। हरन्या में यह प्लांट अगले माह काम करना शुरू कर देगा।

यह है योजना

फिकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट की इस योजना में 15 किमी दायरे की सभी पंचायतों में बने शुष्क शौचालय का स्लज वैक्यूम मशीनों के जरिए खाली कराया जाकर प्लांट को भेजा जाएगा। जहां इसे ट्रीट कर खाद में बदल दिया जाएगा। फिलहाल क्षेत्र के 1840 शौचालयों के लिए इसे तैयार किया गया है। यह चालीस हजार की आबादी पर काम करेगा। इस प्लांट को तैयार करने में 10 लाख रुपए की राशि खर्च हुई है, जिसे चलाने के लिए दो लोगो की जरूरत पड़ेगी। इसका संचालन स्व सहायता समह को सौंपा जाएगा।

इंदौर में बना है पहला प्लांट

इंदौर के काली बिल्लौद में इसका पहला प्लांट बनाया गया था। यह यहां वाटर हेड मिशन के तहत बनाया गया था, लेकिन हरन्या में बना यह प्लांट स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रदेश में बना पहला प्लांट है, जिसे देखने प्रदेशभर की पंचायत प्रतिनिधि और अधिकारी यहां पहुंच रहे हैं। वे यहां इसकी कार्यप्रणाली और उसके संचालन के गुर समझ रहे हैं ।

ब्लैक वाटर ट्रीटमेंट भी शुरू

हरन्या की करीबी पंचायत बोरदेहि में प्लांटेड ग्रेवल फिल्टर प्लांट बनाया गया है। जहां गंदे पानी को प्राकृतिक तरीके से ट्रीट करने का काम किया जा रहा है। इसे भी देखने प्रदेश भर से लोग पहुंच रहे है।इस प्लांट में गांव का गंदा पानी एक प्लांट में एकत्रित कर उसे स्वच्छ बनाया जाता है। यह भी जिले के एकमात्र फिल्टर प्लांट है।

युवा सरपंच ने किया नवाचार

इस प्लांट लगाने का नवाचार पंचायत में चुने गए सबसे कम उम्र के सरपंच सचिन साहू ने किया है। खास बात यह है की वे इस पंचायत में तीसरी पीढ़ी के सरपंच है। उनके दादा परमानंद साहू इस पंचायत में 25 साल सरपंच रहे जबकि दादी दुर्गा बाई पांच साल। सचिन के पिता दिनेश साहू सात साल सरपंच रहे। हाल ही में हुए चुनाव में सचिन चुनाव जीतकर सरपंच बने है। उन्होंने पंचायत में कई विकास कार्य कर इसे नंबर वन

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