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बोर्ड परीक्षा पास डिजे की ध्वनि पर प्रतिबंध नहीं

राकेश मोहन त्रिपाठी
एसडीएम सारंगपुर

देर रात डीजे बजने से हैं परेशान तो ऐसे कराएं बंद

सुदर्शन टुडे संवाददाता सारंगपुर अनिल सोनी

सारंगपुर।।अगर शादीब्याह बर्थडे पार्टी आमसभा गैर धार्मिक आयोजनों में देर रात तक बजने वाले लाउड स्पीकर या डीजे से किसी की नींद खराब होती है या मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है, बच्चों की पढ़ाई में दखल हो तो वह व्यक्ति ऐसे लाउड स्पीकर या डीजे के बजाने पर रोक लगाने की मांग कर सकता है।रात में बजने वाले डीजे से हैं परेशान तो उठाए कानूनी कदम एनजीटी और अदालतों ने भी लगाई है रात में तेज आवाज पर रोक
अब सवाल यह है कि क्या देर रात तक लाउडस्पीकर और डीजे बजाया जा सकता है।आसपास रहने वाले लोग प्रभावित होते है, तो क्या कानूनी कदम उठाया जा सकता है?
ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) कानून-2000 के मुताबिक रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर और डीजे बजाने पर पाबंदी है. हालांकि राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह कुछ शर्तों के साथ रात 12 बजे तक लाउडस्पीकर और डीजे बजाने की इजाजत दे सकती हैं, लेकिन रात 12 बजे के बाद किसी को भी लाउडस्पीकर या डीजे बजाने की इजाजत नहीं है. ऐसा करना गैर कानूनी और क्राइम है. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) भी कह चुका है कि एक तय सीमा से तेज लाउडस्पीकर और डीजे बजाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है.इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि संविधान के अनुच्छेद 21 में जीवन जीने के अधिकार के तहत ध्वनि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार भी आता है. साथ ही किसी को जबरन भजन या गाना या धार्मिक उपदेश सुनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है.अगर देर रात तक लाउडस्पीकर या डीजे बजाने से किसी की नींद खराब होती है या मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, बच्चों की पढ़ाई पर असर होतो यह उसके मौलिक अधिकारों का हनन है. इसके खिलाफ पीड़ित व्यक्ति अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट या फिर अनुच्छेद 226 के तहत सीधे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है. साथ ही रात में लाउडस्पीकर और डीजे बजाने पर रोक लगाने की मांग कर सकता है.

लाउडस्पीकर और डीजे का धर्म से कोई लेना देना नहीं

फोरम प्रिवेंशन ऑफ एनवायरनमेंट एंड साउंड पॉल्यूशन बनाम भारत सरकार मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि लाउड स्पीकर या डीजे का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. शीर्ष कोर्ट ने कहा था कि जब लाउडस्पीकर और डीजे नहीं थे, तब मानव सभ्यता विकसित हुई और लोगों ने अलग अलग धर्म अपनाया. उसी जमाने में महान धार्मिक ग्रंथ भी लिखे गए थे. कोर्ट ने कहा था कि कोई भी धर्म किसी दूसरे व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध अपनी बात सुनने के लिए मजबूर नहीं करता है.

किसी को भजन या अजान सुनने के लिए नहीं किया जा सकता मजबूर

इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा था कि गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश देते हुए कहा था कि जो व्यक्ति गीता का उपदेश नहीं सुनना चाहता है, तो उसको यह उपदेश नहीं सुनाना चाहिए.

इसके अलावा कुरान में कहा गया है कि ‘लकुम दीनाकुम वालिया दीन’ यानी तुम्हारा मजहब व विश्वास तुम्हारा है और मेरा मजहब व विश्वास मेरा है. सभी अपने धर्म में खुश रहते हैं. इसका मतलब यह है कि कोई भी लाउडस्पीकर या डीजे के जरिए किसी दूसरे को अपने धर्म के उपदेश या प्रवचन या भजन या अजान को सुनने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है.

लाउडस्पीकर और डीजे बजाने पर हो सकती है जेल

इसके अलावा मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा समेत किसी भी सार्वजनिक स्थान पर तेज लाउडस्पीकर या डीजे बजाना भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 268 के तहत पब्लिक न्यूसेंस है. अगर आम लोगों को इनसे दिक्कत होती है, तो कानून कार्रवाई की का सकती है. इसके लिए आईपीसी की धारा 290 और 291 में जेल और जुर्माना का प्रावधान किया गया है.

इस संबंध में वरिष्ठ वक्ताओं का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर तेज लाउडस्पीकर और डीजे बजाकर पब्लिक न्यूसेंस पैदा करता है, तो उसके खिलाफ शिकायत की जा सकती है. ऐसी शिकायत मिलने पर मजिस्ट्रेट स्तर का अधिकारी मामले की जांच करता है और अगर उसको लगता है कि लाउडस्पीकर या डीजे बजाने से पब्लिक न्यूसेंस पैदा होता है, तो वो उसको हटाने का आदेश दे सकता है. सीआरपीसी की धारा 133 मजिस्ट्रेट को ऐसा आदेश देने का शक्ति देती है. अगर कोई व्यक्ति मजिस्ट्रेट के आदेश को नहीं मानता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.।

इनका कहना है।

वैसे तो डीजे पर प्रतिबंध लगा है। फिर भी कुछ लोग उसका उपयोग कर रहे हैं।धारा 144 की प्रतिबद्धता की कार्यवाही हेतु कलेक्टर महो,को पत्र लिखा है।

 

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