सतना
-स्नेहा इवेंट एंड मैनेजमेंट द्वारा मायानगरी मुम्बई में आयोजित विंध्य गौरव अवार्ड के मुख्यातिथि गौ-सेवा आयोग (छत्तीसगढ़) अध्यक्ष महामंडलेश्वर महंत श्री डॉ रामसुंदर दास जी होंगे।जिन्होंने भारत में गोपालन की पृष्ठभूमि एवं अन्य समस्याएं जानने के लिए सैकड़ों यात्राएं की हैं।श्री स्वामी जी की मान्यता है कि सम्पूर्ण जीवधारियों में गाय का विशिष्ठ स्थान है और उनकी यह मान्यता ज्ञान और विज्ञान सम्मत है।त्रिकालज्ञ ऋषि एवं मुनियों ने भी गाय को साक्षात पृथ्वी-स्वरूपा बतलाया है।श्री स्वामी जी कहते हैं कि धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों की एवं सम्पूर्ण गुणों की जीवित खान जिसका नाम गाय है के लालन-पालन से भारत इक्कीसवीं शताब्दी के श्रेष्ठतम राष्ट्र के रूप में प्रतिश्ठित होगा गोरक्षण और गोपालन से दरिद्रता,दुर्बलता एवं दीनता का नाश होगा।
जा पर विपदा परत है,ते आवहिं एहि देश
मायानगरी में आयोजित विंध्य गौरव अवार्ड के सवाल पर श्री स्वामी जी विंध्य पर्वत श्रृंखला की महिमा का बखान करते हुए कहा कि विंध्य क्षेत्र आदिकाल से तपस्या,सेवा और समर्पण की भूमि रही है।पुराणों में विंध्य की अनुपम गुरुभक्ति के उदाहरण सुनहरे अक्षरों में दर्ज हैं,जिसके अनुसार विंध्य हजारों वर्षों से गुरु की आराधना करते हुए उनकी प्रतीक्षा में लेटा हुआ है।मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के वनवास काल का अधिकांश भाग इसी विंध्य क्षेत्र में बीता।पांडवों ने भी अपना अज्ञातवास विंध्य की पर्वत मालाओं में बिताया तभी तो विपदा में पड़े लोगों की सहायता करने वाले विंध्य की महिमा गाते हुए अब्दुर्रहीम खानखाना ने लिखा है-जा पर विपदा परत है,ते आवहिं एहि देश।कहने की आवस्यकता नही कि विंध्य की बाहें सहायता हेतु सदा ही खुली रही हैं।
विंध्य राष्ट्र की आध्यात्मिक राजधानी
श्री स्वामी जी ने कहा कि जिस प्रभु श्रीराम का नाम लेने मात्र से ही मनुष्य धन्य हो जाता है उन दयामयी प्रभु का विंध्य की धरा के कण-कण में समरसता जीवन का लक्ष्य समाया है।धन्य हैं माँ कैकेयी जिन्होंने पुत्र के प्रति कठोर स्नेह का दर्शन कराया प्रभु राम को वनवास भिजवाया।प्रभु ने विंध्य पर्वत मालाओं को अपना निवास बनाया और वहीं पर लिखा गया अखंड भारत का स्वरूप मर्यादा से ओत-प्रोत करके रामराज्य का दर्शन कराया।स्नेहा इवेंट और उनके सहयोगियों द्वारा आयोजित विंध्य गौरव अवार्ड राष्ट्र के उन शिल्पियों को समर्पित होगा जिन्होंने राष्ट्र रचना में अपना जीवन समर्पित किया है या कर रहे हैं।आगामी समय में विंध्य प्रदेश राष्ट्र की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में प्रतिश्ठित हो तभी विंध्य का गौरव इतिहास के पन्नो से निकलकर लोगों के दिलों में समाहित होगा यही बाला जी भगवान शिवरीनारायण जी से कामना है।