सुदर्शन टुडे संवाददाता दिनेश तिवारी सीहोर
31 अक्टूबर को बडियाखेडी सीहोर निवासी आवेदिका रोजना की तरह जब सुबह आँफिस जाने के लिए पैदल घर से निकली तो नदी चौराहे के पास एक आटो वाले ने उनसे अपने आटो में बैठने के लिए कहा कि आगे तक छोड देते है, आटो में पहले से दो महिलाए बैठी हुई थी। आटो वाले ने थोडी दूर जाकर आवेदिका को आटो से उतार दिया और उन दो महिलाओ सहित आटो लेकर बस स्टेंड की तरफ चला गया। आटो से उतरने के बाद आवेदिका के गले से उनका सोने का मंगलसूत्र गायब था। कुछ दिन बाद ठीक इसी प्रकार 08 नवंबर को इंगलिशपुरा निवासी एक अन्य महिला जब अपने घर से पैदल जैन मंदिर जा रही थी तो रास्ते में उन्है भी एक आटो वाले ने आगे छोड देने का कहकर अपने आटो में बैठा लिया जिसमें भी दो महिलाएँ पहले से बैठी हुई थी, जब आटो वाले ने थोडी दूर जाकर आटो से उतारा तो उनके गले से भी उनकी सोने की चेन गायब हो चुकी थी। दोनो ही महिलाओ ने आटो का नंबर या कोई और ऐसी जानकारी जिससे पुलिस को अपराधियो तक पहुंचने में आसानी हो नही बताई थी।
यह दोनो मामले पुलिस के संज्ञान में आने के बाद क्षेत्र में इस विशिष्ट कार्यप्रणाली की आपराधिक गैंग के सक्रिय होने पर इसे गिरफ्त में लेने के लिए पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी द्वारा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गीतेश गर्ग तथा सीएसपी निरंजनसिंह राजपूत के मार्गदर्शन में टीआई कोतवाली नलिन बुधोलिया के नेतृत्व में एक पुलिस दल का गठन किया गया जिसमें उनि राजेश यादव, आर. 347 विक्रम रघुवंशी, आर. 736 नेपालसिंह, आर. चालक विष्णु भगवान तथा मआर. 386 सीता परमार शामिल थे।
पुलिस टीम ने तहकीकात शुरू की तो जानकारी मिली कि इस प्रकार का एक संदिग्ध आटो भोपाल की तरफ गया है जिसका तकनीकी आधार पर पीछा करने पर आटो का नंबर ज्ञात हुआ जिसके आधार पर पुलिस ने आटो चालक मुस्ताक अंसारी निवासी कोलार रोड भोपाल को पकडकर पूछताछ की तो उसने घटना में अपने साथ दो महिलाओं के शामिल होने की बात पुलिस को बताई।
पुलिस ने दोनो महिलाओ से पूछताछ करने पर उन्होने सीहोर में इन दोनो घटनाओ को अंजाम देने के अलावा विदिशा और रायसेन में भी इसी प्रकार की वारदाते करना बताया।
आरोपियो ने अपनी कार्यप्रणाली के बारे में बताया कि वै ऐसी महिलाओ को अपना शिकार बनाते थे जो वृद्ध हो या जिन्हे आसानी से धोका दिया जा सके महिलाओ को अपने आटो रिक्शा में बैठाने के बाद आटो चालक आटो को झटके दे देकर चलाता था जिससे महिलाओ के गले से चेन निकालते समय उन्हे इसका आभास न हो और उनके गले से चेन निकालने के तुरंत बाद उन्है आटो से उतार देते थे जिससे महिला को उनके सामने ही चोरी हो जाने का पता न लग सके।
दोनो आरोपिया पहले आगरा (उ.प्र.) में रहती थी जो करीब 03 महिने पहले भोपाल आकर गांधी नगर स्थित झुग्गी झोपडी में रहने लगी और इसी प्रकार की चोरी की वारदातो में संलिप्त हो गई थी। घटना के बाद आरोपियो ने आगरा जाकर अपने किसी पहचान वाले के पास यह चोरी के जेवरात रख दिये थे जिन्हे कोतवाली पुलिस ने आगरा से बरामद कर लिया है जिनकी कीमत करीब 2 से 3 लाख रूपये के बीच आंकी जा रही है।
पुलिस अधीक्षक द्वारा इस आपराधिक गैंग का पर्दाफाश कर उन्हे गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम को पुरूस्कृत करने की घोषणा की है।