शाजापुर। मान्यता है कि हमारे पूर्वज पहले बंदर थे। तो प्रभु श्री राम की लंका विजय में भी वानरों ने ही अहम भूमिका निभाई थी। तब से लेकर आज तक मानव और वानरों में रिश्ता बना हुआ है। जिसे आज भी लोग निभाते आ रहे हैं। मंगलवार को भी जब एक वानर करंट की चपेट में आ गया और उसकी मौत हो गई तो शहरवासियों ने एक बार फिर निःस्वार्थ उस वानर की शवयात्रा निकाली और पूरे रीति-रिवाज से उसका अंतिम संस्कार भी किया।
इस शवयात्रा में बड़ों से लेकर बच्चों तक सबने वानर राज की अंतिम विदाई धूमधाम से करने की ठानी। पहले तो वानरराज के लिए शैया तैयार की और उसे फूलों से सजाया। इसके बाद मृत वानर को उस पर लेटाया गया और पूरे शहर में उसकी यात्रा निकाली गई। जिसमें बैंडबाजे और ढोल भी शामिल थे जिनके माध्यम से रामधुन सुनाई गई। इसके बाद मुक्तिधाम पहुंचकर वहां पूरी प्रक्रिया कर वानररात को विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया गया।