रायसेन।सालों से नगर पालिका परिषद रायसेन के सफाई कर्मचारियों के पास नालियों सहित रायसेन शहर के चौक चौराहों गलियों और नालों की साफ
सफाई का जिम्मा सफाई कर्मचारियों नाला गैंग के कर्मचारियों पर है।नपा परिषद रायसेन में 80 सफाई कर्मचारी और 17 नाला गैंग सफाई कर्मचारी पदस्थ हैं। रायसेन शहर में रोजाना12 से 13 टन कचरा रोजाना निकलता है।सफाई कर्मचारियों के पास सफाई उपकरण नहीं होने की वजह से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
इनका कहना है ……
मौके पर काम कर रहे सफाई कर्मचारियों का मुखर्जी नगर कालोनी ,यशवंत नगर कॉलोनी में सफाई करते सफाई कर्मचारी नरेंद्र चावला रमेश बाबूलाल माहौर ने बताया कि नाली की सफाई करने के साथ ही वार्ड में झाड़ू लगाने के अलावा कचरा भी उठाना पड़ता है। लेकिन उनके पास संसाधनों की कमी है। पूरे वार्ड में केवल एक ट्राली है और उसका उपयोग नाली की सफाई में किया जाता है।
मुखर्जीनगर रोड पर सफाई कर रही सफाई कर्मचारी ममता बाई राधा बाई ने बताया कि कई सालों से वह सफाई कर्मचारी के रूप में कार्य कर रही है। पिछले लंबे समय से उन्हें कचरा उठाने के लिए टोकरी, गलब्ज और मास्क नहीं मिले है। जिसकी आवाज भी समय-समय पर उठाई है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है।शहर की प्रमुख कालोनियों अन्य मार्ग की गलियों पर कार्य करने के दौरान बताया कि यहां सबसे अधिक गंदगी होती है। वर्षों से वह सफाई कर्मचारी का काम कर रहा है। लेकिन अभी स्थितियां काफी खराब है। उन्हें काम करने के लिए गलब्ज नहीं है और न ही मास्क व लोग बूट जबकि कई बार गंदगी मे उतरना पड़ता है।
इनका कहना है….
रायसेन नगरपालिका परिषद में करीब 105 स्थायी व अस्थायी सफाई कर्मचारी है। जिन्हें समय-समय पर सफाई व स्वयं के बचाव के लिए उपकरण उपलब्ध कराए जाते है। अभी कुछ ही दिनों पहले गलब्ज, मास्क और लोंग बूट दरोगा को वितरित किए गए है। शशि मोहड़े, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता अधिकारी नपा यहां तक कि गलब्ज और मास्क भी नहीं दिए गए सफाई कर्मचारियों को…
नगर पालिका परिषद रायसेन के सभी सफाई कर्मचारियों के पास सफाई उपकरण पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। नपा अधिकारियों की माने तो अभी कुछ दिनों पहले ही सफाई कर्मचारी को गलब्ज, मास्क , लोंग बूट और टोकरी तथा झाडू बांटे गए है।लेकिन वास्तविकता में धरातल पर देखा जाए तो कागजों में सफाई कर्मचारियों को उपकरण बंटे है। सफाई कर्मचारी आज भी बिना गलब्ज व मास्क के गंदगी उठाने का काम कर रहें हैं।
हम आपको यह बता दें कि नालों नालियों की सफाई में जो कर्मी लगे हैं, को देख ऐसा लगता है मानो उन्हें मौत के गटर में उतारा जा रहा है। इन सफाई कर्मियों के पास सांस लेने संबंधी उपकरण तो क्या, एक ग्लब्स तक नहीं है। लेकिन ठेकेदार और सफाई दरोगा सहित जिम्मेदार अधिकारी अपनी कुंभकर्णी नींद सोए हुए हैं। रायसेन शहर में बड़े-बड़े और गहरे नाले भी हैं।जिनकी सफाई का काम बारिश के दिनों में चलता है। सीवरेज की सफाई के लिए ठेकेदार ने दिहाड़ी मजदूरी पर सफाई कर्मी रखे हैं। जहां तक मजदूरी की बात है तो पूरे दिन में सफाई कर्मियों को ऐसे कितने गटरों में उतरना होता है का पता नहीं। पूर्व में कई बार हादसे हो चुके हैं।जबकि खुद उसे भी गटर साफ करते समय पैर में कोई नुकीली चीज लग गई।जिस कारण उसके पैर से खून बहने लगा था। अक्सर इस तरह क हालात होते हैं।