शीर्षक:- रूप एक किरदार अनेकों
रूप एक किरदार अनेकों,
नारी शक्ति कहते हैं इनको
आदिकाल से इस धरती पर
पूजनीय माना है जिनको
रूप एक किरदार अनेकों |
सीमित सोच वालों को क्यों,
समझा नहीं पाती है वो
अबला अभी समझ रहे जो
सबसे बड़े अज्ञानी है वो
रूप एक किरदार अनेकों |
इस पुरुष प्रधान समाज में,
उसकी राह कठिन हो जाती है
कुछ हैवानो की खातिर
वह घुट घुट के मर जाती है
रूप एक किरदार अनेकों |
बात करें सब समानता की,
पर कोख में बेटी मरती है
सोच बदलो दुनिया वालों
साबला है और स्वाभिमान से
जीती है
रूप एक किरदार अनेकों |
हर युग में इनकी गाथा है,
कभी सीता तो कभी राधा है
कभी जुए में दांव लगाकर इनको हारा है
कभी करके घुड़सवारी दुश्मन को ललकारा है
रूप एक किरदार अनेकों |
समय है बदला जागृत हो नारी,
बदल डालो यह कायनात सारी
नया इतिहास रचने की करो तैयारी
अब है तुम्हारी यह जिम्मेदारी
रूप एक किरदार अनेकों |
सीमा त्रिपाठी
लालगंज अझारा प्रतापगढ़