सुदर्शन टुडे ब्यूरो दुर्गाशंकर की रिपोर्ट
हरियाणा, उन्हाणी,
आज़ डिजिटल का जमाना है और इस डिजिटल दुनियां ने बच्चों की वास्तविक दुनियां के मित्रो, पड़ोसियों से दूर कर दिया है ऐसे में उनका शारीरिक व समाजिक विकास बाधित हुआ है ये कहना है शिक्षक व समाजसेवी मा. राजेश उन्हाणी का।
उनका मानना है कि आज़ के तकनिकी युग में टीवी, मोबाइल, वीडियो गेम्स जैसे डिवाइस आ गए हैं, जो बच्चे को विचलित करने के लिए काफ़ी हैं। इससे उनका ध्यान एक जगह नहीं टिक पाता कई बार बच्चे के तंग करने पर हम ही उन्हें ये चीज़ें पकड़ा देते हैं और फिर शिकायत करते हैं कि बच्चे में ना तो धैर्य है और ना ही एकाग्र होने की क्षमता।
आगे उन्होंने बताया की आज़ के इस टेक्नोसेवी युग में अभिभावकों को गर्मियों की छुट्टियों के दौरान अपने बच्चों के साथ इंडोर व आउटडोर खेल में सक्रिय भागीदारी निभानी चाहिए ताकि उनमे एकाग्रता व जीवन की गुणवत्ता का विकास हो।
अपने परिवार में बच्चों के साथ लूडो का खेल खेलने के बाद उन्होंने बताया कि नियमित रूप से बच्चों के साथ कोई भी खेल खेलने से बच्चों की पढ़ाई व दूसरे कार्यों कार्यों में रूचि व एकाग्रता बढ़ती है और जीवन की गुणवता भी बेहतर होती है।
अंत में मास्टर राजेश उन्हाणी ने अभिभावकों को सलाह देते हुए कहा की गर्मियों की छुट्टियों के दौरान वे बच्चों के साथ इंडोर व आउटडोर खेल अवश्य खेले ताकि मोबाइल के लगातार प्रयोग से उनमे कोई नकारात्मक उन्माद पैदा न हो और वे बोरियत महसूस न करे इस प्रकार उनके साथ खेल गतिविधियों में भाग लेने से उनमे सहानुभूति, मित्रता, सहयोग जैसे मानवीय मूल्यों का विकास होगा।