सीमा त्रिपाठी
लालगंज प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश
माधवपुर गांव में एक बहुत ही गरीब परिवार रहता था | खेती करके किसी तरह खाने पीने की व्यवस्था हो जाती थी | रामकृष्ण के तीन बेटियां और एक बेटा था | रामकृष्ण दिन रात कड़ी मेहनत करके अपने चारो बच्चो को शिक्षित किया | उसका संकल्प था कि वह एक रोटी कम खायेगा लेकिन बच्चे को जरूर पढ़ायेगा उसके बच्चे भी पढ़ने में खूब मन लगाते थे | बेटे की नौकरी फ़ौज में लग गई वह घर से दूर जाकर नौकरी करने लगा | उसी गांव में रामकृष्ण के बेटे की चिट्ठी लेकर डाकिया आया करता था और रामकृष्ण और उनकी पत्नी को उनकी चिट्ठी पढ़कर भी सुनाता था और जलपान करके ही वापस जाता था | इस तरह वह डाकिया कम परिवार का खास सदस्य बन गया था | जब भी चिट्ठी लाता दूर से ही आवाज लगाता अरे रामकृष्ण तुम्हारे बेटे की खबर लाया हूं जल्दी से मुंह मीठा कराओ और राम कृष्ण की पत्नी जो बेटे की खबर पाने को बेचैन रहती थी दौड़कर डाकिया के जलपान की व्यवस्था करती | इस तरह कई साल बीत गए चिट्ठी का क्रम चलता रहा | एक दिन दुश्मन की मुठभेड़ में रामकृष्ण का बेटा वीरगति को प्राप्त हुआ | सेना की छावनी से तार आया डाकिया का पूरा शरीर पसीने से तरबतर हो गया और शरीर कांपने लगा कि आज यह खबर वह रामकृष्ण को कैसे पढ़कर सुनाएगा और वहां जोर जोर से रोने लगा किसी तरह हिम्मत करके वह रामकृष्ण के घर आया तो हाव भाव देखकर राम कृष्ण की पत्नी समझ गई कि कुछ तो गड़बड़ है जो वह मुझसे छुपा रहा है | डाकिया के कुछ बोलने से पहले ही राम कृष्ण की पत्नी बेहोश होकर गिर पड़ी और आंखों से आंसू गिरने लगे उसे समझते देर न लगी कि आज डाकिया आखिर शांत क्यों हैं |