धर्म बदलने वालों का खत्म हो आरक्षण
महारैली निकालकर जनजातीय समाज भरेगा हुंकार
प्रदेश के 22 जनजातीय जिलों में सभाएं करेगा जनजातीय सुरक्षा मंच
बड़वानी। धर्मांतरित व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर करने का मुद्दा गर्मा गया है। इस विषय पर जागरूक हुआ जनजातीय समाज आज से एक जुटता दिखाने जा रहा है।बड़वानी के भीमनायक महाविद्यालय मैदान से शुरू हो रहा यह महाअभियान प्रदेश के सभी 22 जनजातीय जिलों तक जाएगा। जहां जनजातीय सुरक्षा मंच के तत्वाधान में सभा और महारैली कर जनजातीय समाज न केवल सरकार का ध्याान आकृष्ट करेगा, बल्कि धर्मांतरितों को लाभ से वंचित करने की मांग भी करेगा।
इस कड़ी में आयोजन दिनाँक 1 मई2022 रविवार बड़वानी के भीमनायक महाविद्यालय मैदान में किया जा रहा है। यहां उपस्थित समुदाय को जनजातीय सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय कार्यकारणी के डॉ विशाल वालवी सहित मंच के दूसरे सामाजिक प्रमुखों का मार्गदर्शन मिलेगा। इसके बाद महारैली निकाली जाएगी। जनजातीय सुरक्षा मंच प्रांत की सदस्य अंजना शरद पटेल ने बताया कि इस रैली में गांव से गांव से करीब 35 से 40 हजार लोग शामिल हो रहे हैं। जिसमें वह अधिकारों पर अतिक्रमण कर रहे लोगों के खिलाफ आवाज बुलंद करने का संकल्प लेंगे। इसके साथ ही महारैली के माध्यम से अपनी एक जुटता दिखाते हुए संघर्ष का शंखनाद करेंगे।
प्रस्ताव मंजूर कर चुकी हैं 22 जिलों की ग्राम सभाएं
इस मुद्दे पर जनजातीय सुरक्षा मंच द्वारा गांव-गांव, घर-घर जाकर समाज को जागृत कर चुका है। इसके बाद ग्राम सभाएं भी अभियान को समर्थन देने का प्रस्ताव मंजूर कर चुकी है। इनमें बड़वानी, खरगोन, के नाम प्रमुख रूप से सामने आए हैं। इन सभाओं का मुख्य उद्देश्य अनुच्छेद 342 में धर्मांतरित लोगों को बाहर करने के लिए संसद कानून द्वारा राष्ट्रपति के 1950 वाले आदेश में संशोधन के लिये सरकार को मजबूर करना है।
2006 से सुरक्षा मंच कर रहा है संघर्ष
जानकारी के मुताबिक जनजातीय सुरक्षा मंच इस मुद्दे पर वर्ष 2006 से संघर्ष कर रहा है। हालांकि इसके पहले वर्ष 1968 में तत्कालीन सांसद डॉ. कार्तिक बाबू उरांव इस संबंध में पहल कर चुके हैं। इसके बाद जनजातीय सुरक्षा मंच ने इस काम को हाथ में लेते हुए जनजागरूकता के अभियान चला रहा है। इसके मद्देनजर वह 448 जिलों में जिला कलेक्टर एवं संभागीय आयुक्त के माध्यम से तथा विभिन्न राज्यों के राज्यपाल व मुख्यमंत्रियों से मिलकर, महामहिम राष्ट्रपति महोदय को ज्ञापन सौंप चुका है। यही सांसदों से भी संपर्क कर चुका है। लिहाजा अब तक के प्रयासों पर विस्तृत चर्चा एवं मंथन के उपरांत, एक महाअभियान शुरू किया है, जो सड़क से संसद तक चल रहा है
इसलिये है जरूरी
कि मौजूदा समय में हमारे अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों को प्रलोभन के माध्यम से धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। इसे रोकना है, साथ ही जिन लोगों ने धर्मांतरण कर लिया है, उन्हें अनुसूचित जनजाति की सूची से डीलिस्टिंग यानी बाहर करना है। इसके मद्देनजर मप्र के साथ ही पूरे देश में अभियान चलाया गया है। क्योंकि अब तक हुए शोधो और विवेचनाओं में यह बात सामने आई है कि धर्मांतरित ईसाई और मुस्लिम दोहरी सुविधाओं का लाभ ले रहे है। मूल रूप से यह एक भारी विसंगति है। साथ ही यह संविधान के कल्याणकारी वह न्यायकारी उद्देश्य के विपरीत है। इसलिये मूल संस्कृती वाली बहुसंख्यक एसटी के विकास के लिए यह उचित नहीं है।