Sudarshan Today
मध्य प्रदेश

जिले में वाहन चेकिंग वसूली या खानापूर्ति ?

सुदर्शन टुडे भास्कर पाण्डेय

डिंडोरी जिला मुख्यालय प्रदेश का एक ऐसा मुख्यालय है जहां सुबह से लेकर देर रात तक वाहनों की चेकिंग होती है l इसके बावजूद भी आज तक वाहन चेकिंग में लगे तन को कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी l जिस तरह की चेकिंग डिंडोरी जिला मुख्यालय मैं होती है उससे तू ऐसा लगता है कि कोई अपने साथ सुई भी लेकर नहीं जा सकता l इसके बावजूद भी तमाम तरह की गतिविधियां चल ही रही है जैसे अवैध शराब, गांजा, विस्फोटक सामग्री का अवैध परिवहन इत्यादि l वाहन चेकिंग के नाम चेकिंग दल द्वारा जिस तरह वाहन के दस्तावेज देखे जाते हैं ड्राइविंग लाइसेंस देखी जाती है इसके बावजूद भी बिना किसी दस्तावेज या लाइसेंस के वाहन चालक अपनी गाड़ियों को सरपट दौड़ा ही रहे हैं l इसको लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं जिससे वाहन चेकिंग मैं लगे अमले को व यातायात विभाग को लोग कटघरे में खड़े भी कर रहे हैं l मुट्ठी भर की जनसंख्या वाला जिला मुख्यालय या जिला जिस के तमाम थाना चौकियों में आए दिन चेकिंग होती है इसके बावजूद भी बिना दस्तावेज के वाहन कैसे चल रहे हैं ओवरलोड वाहन कैसे चल रहे हैं यह एक बड़ा सवाल है lइससे तो ऐसा लगता है कि वाहन चेकिंग के नाम वाहन चेकिंग में लगे अमले द्वारा केवल वसूली की जा रही है l बिना किसी उद्योग किस जिले में वाहन चेकिंग एक बड़ा उद्योग बन कर उभर रहा है l जिस तरह की चेकिंग डिंडोरी जिले में होती है ऐसी चेकिंग तो शायद मध्य प्रदेश में कहीं भी नहीं होती होगी l सुबह से लेकर शाम तक सिर्फ चेकिंग सिर्फ चेकिंग यातायात विभाग का मानो केवल एक ही काम है l भले ही नगर के चौराहों पर ट्रैफिक जाम हो जाए या नगर के मुख्य मार्ग में ट्रैफिक जाम हो रहा हो इससे विभाग को कोई फर्क नहीं पड़ता विभागों को तो केवल चेकिंग करनी है l शायद जिले के वरिष्ठ अधिकारी के आदेश पर ऐसा हो रहा हो किंतु हो तो रहा है और दिन प्रतिदिन हो रहा है इससे अपने वाहन में प्रतिदिन चलने वाले लोगों को भारी तकलीफ का सामना करना पड़ता है l आखिर शहर में एक ही मार्ग है और इस मार्ग में चलने वाले भी वही है जिन्हें रोज चलना है किंतु चेकिंग के नाम पर उन्हें घंटों रुकना पड़ता है और हर दिन उन्हें दस्तावेज दिखाने होते हैं l इससे तो लोगों को ऐसा लगने लगा है कि बेहतर होता कि पुलिस द्वारा उन्हें पास जारी कर दिया जाता जिन्हें दिखाकर तो निकला जा सकता था l नहीं तो आप अपने वाहनों के दस्तावेज लेकर खड़े रहे और अपनी बारी का इंतजार करते रहें l वाहन चेकिंग अमले को अपने दस्तावेज दिखाने के बाद हमने बहुत से मोटर मालिकों से बात की तो उन्होंने एक राज की बात बताई वह यह कि चेकिंग अमले को शायद वाहन के दस्तावेज चेक करना ही नहीं आता l हमने पूछा कैसे तो उन्होंने बताया कि लाइसेंस टू व्हीलर का चला रहे हैं फोर व्हीलर लाइसेंस गुड्स व्हीकल का चला रहे पैसेंजर व्हीकल किंतु जांच अमले ने लाइसेंस देखा और जाने दिया l जिला मुख्यालय में चलने वाले ऑटो किस श्रेणी का वाहन है यह भी तो पैसेंजर वाहन है और इसके लिए पैसेंजर वाहन चलाने का लाइसेंस होना अनिवार्य है l इसके बावजूद भी एक भी ऑटो वाले के पास इस तरह का लाइसेंस नहीं है फिर भी वह ऑटो वह चला रहा है तो कैसे चला रहा है क्या पुलिस की आशीर्वाद से यदि नहीं तो इन पर क्यों कार्यवाही नहीं होती ?

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