जिला ब्यूरो अमित कुमार की रिपोर्ट चंडीगढ़
चंडीगढ़ मेयर का चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है। कांग्रेस-आम आदमी पार्टी और भाजपा ने ताकत झोंक दी है। लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर भारत में तीनों दलों की खातिर यह चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस-आप को मात देने की रणनीति बनाई तो वहीं कांग्रेस व आप के नेता इस बात पर आश्वस्त हैं कि इस बार गणित उनके पक्ष में है। चंडीगढ़ का मेयर चुनाव अब सिर्फ चंडीगढ़ तक सीमित नहीं रह गया है। यह देश में भाजपा और इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के बीच की पहली लड़ाई बन चुका है। चंडीगढ़ से दिल्ली तक के नेता सक्रिय हो चुके हैं। हर कोई किसी भी कीमत पर चुनाव जीतना चाहता है। कई की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। मंगलवार को हुए हंगामे के बाद बुधवार को पवन बंसल ने राघव चड्ढा से मुलाकात की तो भाजपा के नेता भी दिनभर रणनीति बनाने में जुटे रहें। चंडीगढ़ नगर निगम में पिछले कई वर्षों से लगातार भाजपा का मेयर बनते आ रहा है। वर्ष 2021 में हुए नगर निगम चुनाव में आप को सबसे ज्यादा सीटें मिली थीं। बावजूद इसके भाजपा दो साल से अपना मेयर बनाने में कामयाब रही। इस बार भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने गठबंधन कर लिया।