संवाददाता रानू जावेद खान
जवेरा दमोह
दमोह जिले के जवेरा जनपद क्षेत्र के ग्राम बनवार में राजपूत परिवार में सप्त दिवसीय श्रीमद भागवत महापुराण का हवन भंडारे के साथ हुआ समापन, भक्तिमय विश्राम कथा के समापन में हवन यज्ञ और भंडारे का आयोजन किया गया। भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहले हवन यज्ञ में आहुति डाली और प्रसाद ग्रहण कर पुण्य कमाया कथा प्रवक्ता बालव्यास पं. ऋषिकांत गर्ग जी महाराज ने कहा कि 7 दिन तक चली कथा में भक्तों को श्रीमद भागवत कथा की महिमा बताई। उन्होंने लोगों से भक्ति मार्ग से जुड़ने और सत्कर्म करने को कहा। उन्होंने कहा कि हवन-यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। हवन यज्ञ में अपनी अपनी एक बुराई की भी आहुति देनी चाहिए उन्होंने बताया कि भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। कथावाचक ने भंडारे के प्रसाद का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है। पहला प्र का अर्थ प्रभु, दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ होता है दर्शन। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं। हर कथा या अनुष्ठान का तत्व सार होता है जो मन बुद्धि व चित्त को निर्मल कर देता है। मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है। भगवान को लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है। कथा समापन के दिन विधि विधान से पूजा करवाई। दोपहर तक हवन और भंडारा कराया गया। इसमें यजमान ने अपने अपने परिवार के साथ आहुति डाली।