Sudarshan Today
NARMDAPURAM

पर्यटन स्थल बनने के इंतजार में आंवलीघाट घाट यहां पर स्नान करने मात्र से पापों से मिलता है मोक्ष 

ब्यूरो , नेहा सिंह

नर्मदापुरम( होशंगाबाद) जिले की तहसील सिवनी मालवा में आंवलीघाट कर रहा पर्यटन स्थल बनने का इंतजार जबकि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आंवली घाट में पूजा-अर्चना कर भगवान शंकर की 71 फीट ऊँची प्रतिमा का अनावरण भी कर चुके है । एवं आंवली घाट में नव-निर्मित रेस्ट-हाउस का लोकार्पण भी हो चुका है । मुख्यमंत्री श्री चौहान ने उस अवसर पर घोषणा भी कर चुके हैं कि आंवली घाट को जल्द ही धार्मिक पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित किया जाएगा लेकिन आज भी आंवलीघाट को पर्यटन बनने का इंतजार जारी है नर्मदापुरम ( होशंगाबाद) जिला धरोहर और पौराणिक एवं सुन्दरता में पीछे नहीं है। यहाँ अनेक दर्शनीय स्थल हैं । जिले का सबसे प्रसिद्ध एवं सुंदर स्थल नर्मदा का तट है। ऐसा ही एक स्थान नर्मदापुरम जिले के सिवनीमालवा तहसील के अंतर्गत आने ग्राम पंचायत हथनापुर का आंवली घाट भी है। जोकि सीहोर जिले से लगा हुआ है नर्मदा नदी की एक तरफ सीहोर तो दूसरे तट पर नर्मदापुरम स्थित है प्रसिद्ध विजयासन देवीधाम जहां देविलोक बनने जा रहा उससे मात्र 11 किलोमीटर की दूरी पर नर्मदा नदी पार करते ही आंवलीघाट नर्मदा के ही घाट पर स्थित है यहां पर कई किंवदंतियों से भरा पड़ा है यह घाट , यहां महाभारत काल की कई धरोहर मौजूद हैं। जब पांडवों को 14 वर्षो का अज्ञातवास मिला था। इस दौरान 12 बर्षो तक माता कुंती सहित पांचों पांडवों ने आंवली घाट पर ही तपस्या की थी। तपस्या के दौरान पांडवों को मां नर्मदा ने दर्शन दिए थे और पूछा था की आपकी क्या मनोकामना है तो अर्जुन ने कहा की कौरवों से हमारा युद्ध होना है उसमें हमारी विजय हो। मां नर्मदा ने भीम से पूछा कि तुम्हारी क्या मनोकामना है तो भीम ने कहा कि मुझे आपसे विवाह करना है तो मां नर्मदा ने कहा कि अगर तुम मेरी जल धारा रोक दोगे तो मैं तुमसे विवाह कर लूंगी। तभी भीम ने जल प्रवाह रोकने के लिए पर्वतों की श्रृंखलाओं को जमा कर कावड़ में पत्थर लाकर नर्मदा जी की धार को रोकना शुरू कर दिया इस कार्य में भीम की माता कुंती ने भी भीम की सहयोग किया। उस समय नर्मदा ने विचार किया कि कहीं सुबह होने से पहले जलधारा रूक न जाए। तभी उन्होंने मुर्गा बनकर बांग दे दी। आवाज सुनते ही भीम और माता कुंती ने कावड़ पटक दी ओर वह पराजित हो गए। आंवली घाट में आज भी वह पत्थरों की चट्टानें वहीं जमी हुई हैं। उस स्थान पर ही भगवान श्रीकृष्ण और रुकमणी जी नर्मदा मैया और पांडवों से मिलने आए थे । वहीं माता लक्ष्मी अपने रथ में सवार होकर कुंती से मिलने आई थी ,माता लक्ष्मी ने कुंती को आबाज लगाई किन्तु कुंती साधना में लीन थीं । जिससे माँ लक्ष्मी नाराज होकर रथ सहित हत्याहरणी नदी के कुंड में समा गई । इस तरह महाभारत काल की आंवली घाट पर कई धरोहर आज भी मौजूद है । धरोहर में लक्ष्मी जी के रथ के निशान ,लक्ष्मीकुंड, बृ्रम्हपास, भावनाथ बाबा की टेकरी पर भीम के गुल्ली डंडा, कुंती कुंड, भीम लेटा हुआ ऐसे कई धरोहर आज भी है । दर्शनीय स्थल और पौराणिक महत्व के स्थान हैं। महाभारत युग में पांडवों की तपस्या स्थली तथा वनवास के समय उनका यहां निवास स्थान था। आंवलीघाट से एक किलोमीटर पूर्व में कुंतीपुर नगर एवं हस्तिनापुर नगर जो कि वर्तमान में कुंतिपुर( कूल्हड़ा) ओर हस्तिनापुर (हथनापुर) के नाम से प्रसिद्व हैं। यहां के बारे में अनेक किवदन्तियां हैं। आंवलीघाट क्षेत्र के लोगों ने जनप्रतिनिधि एवं शासन प्रशासन से अपेक्षा की है की इन धरोहरों का कायाकल्प किया जाए जिससे यह धरोहर सुरक्षित रहे और आंवली घाट विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बन सके । नर्मदा और हत्याहरणी नदी के संगम में स्नान करने मात्र से पापा से मिलता है, मोक्ष दुष्प्रवृत्तियों का नाश होकर प्राणी मात्र में सत्कर्मो के प्रति प्रवृत्ति होने की प्रेरणा प्राप्त होती हैं।   आंवली घाट का, धार्मिक पर्वों पर और अधिक महत्व बढ़ जाता हैं , यहां पर (हत्याहरणी) हथेड नदी एवं नर्मदा का संगम स्थल हैं, इस कारण इसका महत्व अधिक हैं। स्थानीय रहवासियों द्वारा बताया जाता है ,की यहाँ ऐसी मान्यता है , कि यहां वर्ष में दो बार प्रथम गंगा दशमी एवं आंवला नवमीं पर प्रति वर्ष भीम नर्मदा नदी में स्नान करने आते हैं। इन दो तिथियों में भीम प्रात: चार बजे स्नान कर वापस चले जाते हैं , ऐसी कई किंवदंतियों से भरा है नर्मदापुरम जिला जिसमे सिवनी मालवा तहवसील के यह आंवलीघाट घाट भी एक अद्भुत स्थान है ।नर्मदापुरम मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूरी सिवनी मालवा तहसील में यह धार्मिक स्थल वही सीहोर जिले के सलकनपुर विजयासन देविलोक से मात्र 11 किलोमीटर दूरी पर स्थित है ,आंवलीघाट पर पानी और बिजली की अच्छी व्यवस्था है, आंवलीघाट मुख्यमार्ग पर स्थित है यह पहुंचने के पर्याप्त साधन है, पक्की सड़क हैं, सुरक्षा को लेकर भी पर्याप्त व्यवस्था है , नजदीक में देविलोक पर्यटन सबसे नजदीकी है ,मात्र 11 किलोमीटर पर ,मध्यप्रदेश शासन द्वारा यहां पर विशाल पार्क भी जे साथ ही रुकने के लिए बड़ा सा रेस्ट हाउस भी मौजूद है, पर्यटन स्थल अनुसार एडवेंचर , होमस्टे, एग्री टूरिज़्म सहित अन्य प्रकार के टूरिज़्म का भी स्कोप है, आंवलीघाट से नजदीकी में 150 किलोमीटर के क्षेत्र में अन्य पर्यटन और भी हैं, जैसे, पचमढ़ी, चूरना, मढ़ई,सेठानी घाट , तवा रिसोर्ट, देविलोक जेसे प्रसिद्ध पर्यटन लगे हुए हैं , आंवलीघाट से हवाई यात्रा के लिए 90 किलोमीटर पर भोपाल से अन्य जगहों के लिय फ़्लाइट मिल जाती है , आंवलीघाट स्थल पर हर दिन पर्यटक पहुंचते हैं, वर्ष भर में लाखों पर्यटक एवं श्रद्धालू यहाँ आवाजाही बनी रहती है।

Related posts

विधानसभा निर्वाचन अंतर्गत मतगणना 3 दिसंबर को

Ravi Sahu

“संगीतमय श्री मद भागवत कथा भक्त हुए भक्तिमय 

Ravi Sahu

आबकारी विभाग की जिले भर में ताबड़तोड़ कारवाईयां 

Ravi Sahu

वे चलता फिरता तीर्थराज प्रयाग-श्री रामकृष्ण दुबे

Ravi Sahu

स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा के अंतर्गत शिविर का किया आयोजन

Ravi Sahu

ग्राम पंचायत में शासकीय अमले ने ग्रामीणों को मतदान के लिये किया प्रेरित

Ravi Sahu

Leave a Comment