सुदर्शन टुडे गंजबासौदा (नितीश श्रीवास्तव) //
मंगलवार को नई अदालत रजोदा रोड स्थित नागेश्वर पशुपतिनाथ मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतर्गत पंच कुंडी रूद्र महायज्ञ शिव महापुराण कथा एवं गौ कथा के आयोजन के पूर्व भव्य कलश यात्रा निकाली गई। जो कि मां शीतला शक्ति धाम से प्रारंभ होकर कथा स्थल पर समाप्त हुई। कलश का महत्व बताते हुए कथा व्यास पं. विकास एलिया ने बताया कि जो कोई अपने जीवन में कलश अपने सिर पर रख कर के चलता है उसके जीवन में कभी भी परेशानी नहीं आती। कलश शुभ लाभ का प्रतीक है, कलश परिवार में सुख शांति देने वाला है। धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। देवी पुराण के अनुसार मां भगवती की पूजा-अर्चना करते समय सर्वप्रथम कलश की स्थापना की जाती है।
कलश विश्व, ब्रह्मांड, विराट ब्रह्मा एवं भू-पिंड यानी ग्लोब का प्रतीक माना गया है। इसमें सम्पूर्ण देवता समाए हुए हैं। पूजन के दौरान कलश को देवी-देवता की शक्ति, तीर्थस्थान आदि का प्रतीक मानकर स्थापित किया जाता है।
कलश पर लगाया जाने वाला स्वस्तिक चार युगों का प्रतीक है। यह हमारी 4 अवस्थाओं, जैसे बाल्य, युवा, प्रौढ़ और वृद्धावस्था का प्रतीक है।
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार मानव शरीर की कल्पना भी मिट्टी के कलश से की जाती है। इस शरीर रूपी कलश में प्राणिरूपी जल विद्यमान है। जिस प्रकार प्राण विहीन शरीर अशुभ माना जाता है, ठीक उसी प्रकार रिक्त कलश भी अशुभ माना जाता है।
इसी कारण कलश में दूध, पानी, पान के पत्ते, आम्रपत्र, केसर, अक्षत, कुंमकुंम, दुर्वा-कुश, सुपारी, पुष्प, सूत, नारियल, अनाज आदि का उपयोग कर पूजा के लिए रखा जाता है। इसे शांति का संदेशवाहक माना जाता है।
कथा के मुख्य यजमान कविता शैलेंद्र तोमर, सरीना राजेश राय माथुर, मंदिर अध्यक्ष रजनी शर्मा, वरिष्ठ समाजसेवी राजेश माथुर, सुनीता जगदीश एलिया, आशुतोष महाराज, पिपलेश्वर महादेव समिति अध्यक्ष संतोष शर्मा, नगर पालिका उपाध्यक्ष संदीप ठाकुर, सतनाम सिंह राजपूत, दीपक राजोरिया, हेमंत गोस्वामी, उमेश सहित काशी, मथुरा, भोपाल ग्वालियर से आए हुए समस्त यजमान एवं धर्म सेवा ज्ञान समिति के सदस्य उपस्थित रहे।