✍️ धर्मेंद्र साहू
तेन्दूखेड़ा:- स्वामी विवेकानंद जी के जन्मदिन पर हायर सेकेंडरी स्कूल इमझिरा में भी सामूहिक सूर्य नमस्कार किया गया। संस्था प्रभारी प्राचार्य समीम कुरेशी द्वारा मां सरस्वती के पूजन व मध्य प्रदेश गान के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की गई। पूजन उपरांत राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल से आयोजित कार्यक्रम को साउंड सिस्टम के माध्यम से सभी बच्चों को सुनाया गया एवं सभी बच्चों के साथ-साथ सभी शिक्षकों ने भी सामूहिक सूर्य नमस्कार कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर प्रभारी प्राचार्य ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम जिस शिक्षा का अनुसरण कर रहे हैं, उस आधुनिक युग की शिक्षा के मुख्य सूत्रपात स्वामी विवेकानंद जी थे। उन्होंने सन्यासी की तरह अपने जीवन का निर्वहन करते हुए आध्यात्मिक क्षेत्र में काफी उपलब्धियां हासिल की हैं वह अपने गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस से काफी प्रभावित हुए थे, जिनसे उन्होंने सीखा कि सारे जीवो में स्वयं परमात्मा का ही अस्तित्व है, इसलिए जो मनुष्य दूसरे जरूरतमंदों की मदद करता है या सेवा द्वारा परमात्मा की भी सेवा की जाती हैं। अमेरिका में हुए शिकागो सम्मेलन आदि उनके जीवन से जुड़े वृतांत को काफी विस्तार से बच्चों को बताया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ शिक्षक हरिराम प्रजापति, जयप्रकाश कोष्टी, देवीसिंह पटेल, अभिलाषा गौतम, स्नेहलता अग्रवाल, पुष्पलता जैन, आदि समस्त शिक्षक उपस्थित रहे।।
शासकीय एकीकृत माध्यमिक शाला इमलिया में हुआ सूर्य नमस्कार।।
इमझिरा:- वेदांत के सुप्रसिद्ध, विख्यात, और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद जी की जन्म जयंती पर शासकीय एकीकृत माध्यमिक शाला इमलिया में सामूहिक रूप से सूर्य नमस्कार किया गया। सर्वप्रथम मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करते मध्यप्रदेश गान के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की गई। वही सभी बच्चों एवं शिक्षकों ने भी स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए उन्हें याद किया। माल्यार्पण उपरांत रेडियो पर प्रसारित मुख्यमंत्री के संदेश का वाचन सभी बच्चों को सुनाया गया, संदेश वचन उपरांत सभी शिक्षकों के साथ-साथ बच्चों ने भी सामूहिक सूर्य नमस्कार में भाग लिया। इस अवसर पर संस्था प्रधान पाठक मदन शुक्ला ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद जी वेदांत के सुप्रसिद्ध, विख्यात, और आध्यात्मिक गुरु थे, उनके बचपन का वास्तविक नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। उनके आधारभूत सिद्धांतों में था की शिक्षा ऐसी हो जिससे बालक का शारीरिक, मानसिक, एवं आध्यात्मिक विकास संभव हो सके। बच्चों को धार्मिक शिक्षा पुस्तकों द्वारा ना देकर आचरण एवं संस्कारों वाली शिक्षा पर जोर देना चाहिए, उन्होंने शिक्षा के साथ-साथ शारीरिक व्यायाम पर भी अत्याधिक बल दिया। उन्होंने शिक्षा के स्तर को उठाने के लिए अथक प्रयास किए। शाला में बच्चों द्वारा भी एक-एक ब्रतान्त स्वामी जी की जन्म जयंती पर सुनाए। इस अवसर पर प्राथमिक शिक्षक कमलेश शर्मा, सेवक राम पटेल, राकेश पटेल, अतिथि शिक्षक राहुल पाठक, संदीप पटेल, देवेंद्र पटेल, नर्मदा प्रसाद पटेल, भागीरथ प्रजापति आदि उपस्थित रहे।।