Sudarshan Today
मध्य प्रदेश

5 बार नर्मदा परिक्रमा कर चुके क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार सुरेश जैमिनी परिक्रमा वासियों की कर रहे हैं सेवा

 

सुदर्शन टुडे संवाददाता। नसरुल्लागंज

 

आज हम आपको बताने जा रहे हैं बुधनी विधानसभा के क्षेत्र नसरुल्लागंज से करीब 8 कि.मीटर दूरी पर स्थित नीलकंठ की जहां मां नर्मदा का पावन तट है यहां क्षेत्र के हजारों की संख्या में श्रद्धालु मां नर्मदा में आस्था की डुबकी लगाते हैं पूजा अर्चना भी करते हैं कहा जाता है मां रेवा के तट पर संगम एंव उत्तरायण बहने की वजह से यह साफ-साफ ओम की आकृति बनती दिखाई देती है यहां पर भोलेनाथ शंभू शंकर का मंदिर होने के साथ-साथ मां नर्मदा मंदिर राम जानकी पेडी घाट भी है ।क्षेत्र के माँ नर्मदा भक्त दादा सुरेश जैमिनी कक्का जी पांच बार माँ नर्मदा परिक्रमा कर चुके हैं, उनका कहना है कि कलयुग केवल नाम अधारा सुमर सुमर नर उतरहीं पारा मां नर्मदा को कलयुग की गंगा कहा गया है ,

मैं 5 बार मां नर्मदा की परिक्रमा कर चुका हूं पैदल परिक्रमा वासियों को नर्मदा क्षेत्र में कई बार मुसीबत का सामना करना पड़ता है,जिसमे रात्रिविश्राम एंव भोजन प्रमुख है हाँलाकि मां नर्मदा की असीम कृपा से पैदल यात्रियों के लिए अब ठहरने एंव भोजन के भंडारे संपन्न होने लगे हैं, जिसको देखते हुए माँ की प्रेरणा से पैदल परिक्रमा वासियों के लिए हमने नर्मदा क्षेत्र के नीलकंठ लखेरा जी की धर्मशाला में नीलकंठेश्वर धाम के नाम से पदयात्रियों को बेहतर सुविधाऐं मिले प्रयासों की शुरूआत की है। जहाँ प्रतिदिन सुबह शाम 35 से 40 पदयात्री भोजन एंव रात्री विश्राम कर रहे हैं।और अधिक बेहतर व्यवस्था के लिए जन सहयोग के लिये भी प्रयास रत हैंं। आमजन के सेवाभाव एंव मां नर्मदा के आशीर्वाद से एक सार्वजनिक आश्रम की नींव रखी है, जिसमें सभी श्रद्धालुओं को भोजन पानी रहने की सुविधा एवं श्रद्धालुओं के लिए उपचार जैसे अन्य कार्य कर रहे हैं। दादा जैमिनी जी ने आमजनों से सहयोग की अपेक्षा की है।

 

पृथ्वी पर मां नर्मदा

 

स्कंद पुराण में वर्णित है कि राजा-हिरण्यतेजा ने चौदह हजार दिव्य वर्षों की घोर तपस्या से शिव भगवान को प्रसन्न कर नर्मदा जी को पृथ्वी तल पर आने के लिए वर मांगा। शिव जी के आदेश से नर्मदा जी मगरमच्छ के आसन पर विराज कर उदयाचल पर्वत पर उतरीं और पश्चिम दिशा की ओर बहकर गईं।

उसी समय महादेव जी ने तीन पर्वतों की सृष्टि की- मेठ, हिमावन, कैलाश। इन पर्वतों की लंबाई 32 हजार योजन है और दक्षिण से उत्तर की ओर 5 सौ योजन है।

 

नर्मदा तट के तीर्थ

 

वैसे तो नर्मदा के तट पर बहुत सारे तीर्थ स्थित है लेकिन यहां कुछ प्रमुख तीर्थों की लिस्ट – अमरकंटक, मंडला (राजा सहस्रबाहु ने यही नर्मदा को रोका था), भेड़ा-घाट, होशंगाबाद (यहां प्राचीन नर्मदापुर नगर था), नेमावर, ॐकारेश्वर, मंडलेश्वर, महेश्वर, शुक्लेश्वर, बावन गजा, शूलपाणेश्वर, गरुड़ेश्वर, शुक्रतीर्थ, अंकलेश्वर, कर्नाली, चांदोद, शुकेश्वर, व्यासतीर्थ, अनसूयामाई तप स्थल, कंजेठा शकुंतला पुत्र भरत स्थल, सीनोर, अंगारेश्वर, धायड़ी कुंड और अंत में मीठी तलाई भृगु-कच्छ अथवा भृगु-तीर्थ (भडूच) और विमलेश्वर महादेव तीर्थ स्थित हैं।

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