शासकीय महाविद्यालय, ईसागढ़ अशोकनगर ( म.प्र.) में भारतीय भाषा दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ
इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सुझाए गए ‘ एक भारत श्रेष्ठ भारत’ पहल के अंतर्गत ‘ भारत की भाषाएँ ‘ ( द लैंग्वेजज ऑफ इंडिया ) पर प्रकाश डालते हुए बच्चों को अपनी भाषा के अलावा अन्य भारतीय भाषाओं को सीखने के लिए भी प्रेरित किया। डॉ. विवेक पांडे ने अपनी मातृभाषा के साथ-साथ पड़ोसी मातृभाषा के प्रति भी आदर व सम्मान की बात कही । डॉ. जितेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि प्रत्येक भारतीय भाषा में ज्ञान का भंडार छिपा हुआ है हमें अपने रूचि के अनुसार अन्य भारतीय भाषाओं को सीख कर उनके ज्ञान के भंडार से लाभान्वित होना चाहिए। डॉ जवाहर ने मंच का संचालन किया और कहा कि अपनी भाषा के सांस्कृतिक, कला उत्सव के साथ साथ हमें अन्य भाषाओं के सांस्कृतिक, कला एवं साहित्यिक गतिविधियों में भी भाग लेना चाहिए। डॉ आशीष कुमार सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप में बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि जो कुछ भी हम वाणी के रूप में बोलते हैं वे हमारे विचार होते हैं; उन विचारों को हम अपनी भाषा में सोचते और समझते हैं लेकिन हमारे यह विचार तब तक ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ को नहीं प्राप्त होंगे जब तक हम भाषाई आधार पर एक न हो जाते। भाषाई आधार पर एक होने से आशय है एक – दूसरी भाषा में संवाद का होना । इस संवाद के प्रमुख पुरुष हैं महाकवि ‘चिन्नास्वामी सुब्रह्मण्यम भारती’ जिन्होंने उत्तर और दक्षिण के बीच सेतु का काम किया और इसीलिए 11 दिसम्बर को हम उनके जन्म जयंती पर भारतीय भाषा दिवस मना रहे हैं । डॉ. दीपा वर्मा व श्री मनोज सिंह प्राध्यापक तथा गैर शैक्षणिक कर्मचारी वीरेंद्र विश्वकर्मा ,रवि केवट, रचना अहिरवार, बुलबुल शर्मा, राजकुमार, निखिल आदि उपस्थित रहे ।