युवाओं ने जाना संविधान के मूल्यों का महत्व।
देवराज चौहान सुदर्शन टुडे
राजगढ़ ।
अहिंसा वेलफेयर सोसायटी राजगढ़ द्वारा युवाओं में भारत के संविधान के मूल्यों न्याय, समता, स्वतंत्रता, व्यक्ति की गरिमा और बंधुता पर बेहतर सामुहिक समझ विकसित करने के लिए ‘हमारा जीवन हमार संविधान’ कार्यक्रम की शुरुआत संविधान दिवस 26 नवंबर से की गई है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत विधि महाविद्यालय के छात्रों सहित अन्य युवा भी जोड़े गए हैं। इस कार्यक्रम के अंतर्गत कल ‘जीवन मे संविधान’ पुस्तक के संपादक श्री संदीप नाईक जी का व्यख्यान आयोजित किया गया। श्री नाईक द्वार छात्र छात्राओं से वास्तविक जीवन में भेदभाव, स्वतंत्रता और बंधुता से जुड़ी घटाओं और उनसे जोड़ते हुवे भारतीय संविधान की उद्देशिका पढ़ कर सुनाई। उनके द्वारा बताया गया की भारत का संविधान जैसा विस्तृत लचीला और कठोर संविधान किसी अन्य देश का नहीं है। भारतीय संविधान में परिवर्तित किये जा सकते हैं परंतु उसकी उद्देशिका उसकी मूल भावना को नहीं बदला जा सकता है। श्री नाईक ने कहा की हम हमेशा से सुनते आए हैं कि हम कानून के राज में रह रहे हैं, लेकिन हमें न्याय का राज लाना होगा। हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए न्याय का राज हमें सुनिश्चित करना होगा। इसके लिए हमें संविधान को पढ़ना होगा भारतीय संविधान की उद्देशिका को हमारे अंतर्मन में उतारना होगा। संविधान को एक विषय समझ कर और सिर्फ पास होने के लिए नहीं बल्की हमारे समाज में न्याय का राज आए इसके लिए पढ़ना भी होगा और लड़ना भी होगा।
श्री नाईक ने बताया कि संविधान के दायरे में ऐसी कई लड़ाइयां लड़ी गईं हैं जैसे राइट टू एम्प्लॉयमेंट, राइट टू फूड और राइट टू एजुकेशन जिसने गरीब वंचित नागरिकों को बड़ी राहत दी है। श्री नाईक जी ने युवाओं को आगे बताया की संविधान सिर्फ एलएलबी के छात्रों तक सीमित नहीं रहना चाइए संविधान भारत में जन्मे हर बच्चे को पता होना चाइए इसके लिए शुरुआती शिक्षा के साथ ही बच्चों के कोर्स में संविधान को जगह दिलवानी होगी। कार्यक्रम के अंत मे अहिंसा के अरुण सातालकर द्वारा उपस्थित विधि महाविद्यालय के प्रोफेसर, छात्रों की ओर से संदीप नाईक जी को धन्यवाद दिया और आने वाले समय मे योजनाबद्ध तरीके से युवाओं के साथ संविधान के मूल्यों को जन जन पहुँचने का आश्वासन दिया। कार्यशाला के दौरान अहिंसा वेलफेयर सोसायटी की टीम, पियर टुटर सहित विधि छात्र, मौजूद थे।