(विश्व एड्स दिवस के अवसर पर साक्षरता और स्वास्थ्य शिविर आयोजित)
संकल्प मिश्रा नरसिंहगढ़
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से उप जेल नरसिंहगढ़ में आयोजित विधिक साक्षरता शिविर के दौरान न्यायाधीश कपिल देव ने कैदियों को विधिक साक्षरता संबंधी जानकारी देते हुए कहा कि व्यक्ति के अंदर जो ऊर्जा है उसका विनाशात्मक प्रयोग व्यक्ति को नर्क की ओर ले जाता है और उसी ऊर्जा का सृजनात्मक प्रयोग व्यक्ति को स्वर्ग की ओर ले जाता है। विनाश ही नर्क है और सृजन ही स्वर्ग है। उन्होंने जेल में मौजूद कैदियों को नागार्जुन फकीर की कहानी सुनाते हुए कहा नागार्जुन अद्भुत फकीर था । जब वह एक गांव से लकड़ी का भिक्षा पात्र अपने हाथों में लिए हुए गुजर रहा था ।तो उस गांव की साम्राज्ञी ने कहा कि आप अद्भुत फकीर है आपके हाथों में लकड़ी का भिक्षापात्र शोभा नहीं देता। और साम्राज्ञी ने हीरे जवाहरात से जड़ा हुआ भिक्षापात्र नागार्जुन फकीर को दिया तो नागार्जुन ने कहा कि उसका लकड़ी का पात्र कहीं फेंका ना जाए बल्कि उसे सुरक्षित रखा जाए क्योंकि हीरे जवाहरात से जुड़ा हुआ भिक्षा पात्र कोई चुरा ले जाएगा और मैं बिना भिक्षा पात्र के हो जाऊंगा इस प्रकार जरूरत पड़ने पर उसे अपना पुराना लकड़ी का भिक्षा पात्र दे दिया जाए। नागार्जुन वह से हीरे जवाहरात से जड़ा हुआ भिक्षा पात्र लेकर चल दिया और जैसे ही वह चला तो इस गांव का एक बड़ा चोर नागार्जुन के हाथों में हीरे जवाहरात से जुड़ा हुआ भिक्षा पात्र देखकर उसे चोरी करने के आशय से उनके पीछे हो लिया । नागार्जुन जैसे ही गांव के बाहर अपने खंडहर में पहुंचे तो उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति उनके पीछे पीछे आ गया है । वह समझ गए थे कि यह अवश्य ही उस भिक्षापात्र को चोरी करने आया है । उन्होंने सोचा कि जब यह भिक्षा पात्र लेने ही आया है तो क्यों ना इसे बिना किसी इंतजार के भिक्षा पात्र दे दिया जाए यह सोचकर नागार्जुन ने वह हीरे जवाहरात से जुड़ा हुआ भिक्षा पात्र बाहर फेंक दिया। यह देखकर चोर चकित रह गया कि ऐसा कौन सा व्यक्ति हो सकता है जो हीरे जवाहरात से जुड़ा हुआ भिक्षापात्र बाहर फेंक सकता है । अभी तक तो वह चोर सोच रहा था कि यदि वह भिक्षापात्र उसे मिल जाएगा तो वह बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल कर लेगा लेकिन उसने यह सोचा कि जब एक आदमी ने उसे बाहर फेंक दिया और उसे उसने पा भी लिया तो उसे कौन सी उपलब्धि मिल जाएगी । क्योंकि फेंकी हुई चीज उठाने में कौन सी उपलब्धि मिलेगी। उसने सोचा कि यदि ऐसी वस्तु फेंकने वाले लोग इस धरती पर हैं तो निश्चित ही उस हीरे जवाहरात से जड़े हुए भिक्षापात्र को पाने से बड़ी कोई और उपलब्धि होगी । यह सोचकर उसने नागार्जुन फकीर से कहा कि क्या मैं अंदर आ सकता हूं तब नागार्जुन फकीर ने उत्तर दिया कि उन्होंने वह भिक्षा पात्र इसलिए बाहर फेंका ताकि तू उच्च और अच्छे विचारों के साथ अंदर आ सके,तेरा ध्यान अंदर आ सके। इससे पहले तू भीतर तो आता लेकिन चोर की तरह आता और तेरा चित्त भीतर ना पाता तेरा चित्त तो बाहर ही रह जाता अब तुम निश्चिंत होकर अंदर आ जाओ। कहने का तात्पर्य है कि जब हम ध्यानपूर्वक और चित्र पूर्वक कोई कार्य करते हैं तो निश्चित ही गलत कार्य होने की संभावना शून्य हो जाती है और हम सब कर्मों की ओर बढ़ जाते हैं। शिविर में विशेष स्वास्थ्य परीक्षण हेतु उपस्थित उपस्थित आईसीटीसी परामर्शदाता डॉ अमृता सरोज और डॉ.दीपांशु मैथल,ब्लॉक सुपरवाइजर प्रह्लाद द्वारा कैदियों के सेम्पल लिए जाकर उनकी एच आई वी स्केंनिग की गई और उन्हें एड्स संबंधी जानकारी दी गई।उपस्थित न्यायाधीश और डॉ. द्वारा का कैदियों के प्रश्नों के उत्तर भी दिये गए।साक्षरता शिविर के दौरान तहसील विधिक सेवा प्राधिकरण से रामेन्द्र कोष्टी, जेलर रामशंकर पटेल और पैरालीगल वोलेंटियर फराह नाज उपस्थित रही।