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महाराष्ट्र का राज्य पक्षी हरियल क्षेत्र में दिखा खासियत यह है कि यह जमीन पर पैर नहीं रखता

 

अखिल कुमार गुरदैनिया

 

वजीरपुर उपखण्ड क्षेत्र में ग्रीन पिजन यानी हरियल  कबूतर महाराष्ट्र राज्य पक्षी है खेत में कई साल बाद हरा पक्षी ग्रीन पिजन को झुझ को किलोक करते देखना हर किसी के मन को सुकून के साथ रोमांच भी पैदा कर रहा है इसकी यह खासियत है कि यह जमीन पर पैर नहीं रखता लोगों का मानना है कि यह पक्षी का आना शुभ संदेश है पक्षी प्रेमियों की मुखबिर यह कबूतर प्रजाति का पक्षी है इसका शरीर हरा और चोंच लाल रंग की होती है भारत में इसकी 5 या 6:00 अन्य प्रजाति भी पाई जाती है राजस्थान के जंगल में इसकी अच्छी खांसी ताकत है उन्होंने बताया कि जंगल में है हरियर सिर्फ उसी समय बाहर आते हैं जब वट और पीपल के पेड़ों में फल आते हैं लाल रंग का ये फल फिग फैमिली का है और हरियल पक्षी का सबसे पसंदीदा फल है

पहले इस पक्षी के आवागमन से अच्छी पैदावार का अनुमान लगता था

तीन चार दशक पहले जंगल में पीपल बरगद व बेर के पेड़ बहुतायत होते ऐसे में नवंबर से मार्च तक इन पक्षियों को स्वछद विचरण करते हुए देखा जाता है घटने लगी इन पक्षियों का आवागमन शुभ माना जाता है शुभ माना जाता है पुराने समय में इनके आवागमन से अनुमान लगाया जाता था कि फसलों की पैदावार अच्छी होगी या नहीं पशु पक्षी में भी इन पक्षियों के आने से उत्साह है शिम्भू मीणा वडौदामहाराष्ट्र का राज्य पक्षी हरियल क्षेत्र में दिखा खासियत यह है कि यह जमीन पर पैर नहीं रखता
अखिल कुमार गुरदैनिया
राजस्थान स्टेट हेड
वजीरपुर उपखण्ड क्षेत्र में ग्रीन पिजन यानी हरियल कबूतर महाराष्ट्र राज्य पक्षी है खेत में कई साल बाद हरा पक्षी ग्रीन पिजन को झुझ को किलोक करते देखना हर किसी के मन को सुकून के साथ रोमांच भी पैदा कर रहा है इसकी यह खासियत है कि यह जमीन पर पैर नहीं रखता लोगों का मानना है कि यह पक्षी का आना शुभ संदेश है पक्षी प्रेमियों की मुखबिर यह कबूतर प्रजाति का पक्षी है इसका शरीर हरा और चोंच लाल रंग की होती है भारत में इसकी 5 या 6:00 अन्य प्रजाति भी पाई जाती है राजस्थान के जंगल में इसकी अच्छी खांसी ताकत है उन्होंने बताया कि जंगल में है हरियर सिर्फ उसी समय बाहर आते हैं जब वट और पीपल के पेड़ों में फल आते हैं लाल रंग का ये फल फिग फैमिली का है और हरियल पक्षी का सबसे पसंदीदा फल है
पहले इस पक्षी के आवागमन से अच्छी पैदावार का अनुमान लगता था
तीन चार दशक पहले जंगल में पीपल बरगद व बेर के पेड़ बहुतायत होते ऐसे में नवंबर से मार्च तक इन पक्षियों को स्वछद विचरण करते हुए देखा जाता है घटने लगी इन पक्षियों का आवागमन शुभ माना जाता है शुभ माना जाता है पुराने समय में इनके आवागमन से अनुमान लगाया जाता था कि फसलों की पैदावार अच्छी होगी या नहीं पशु पक्षी में भी इन पक्षियों के आने से उत्साह है शिम्भू मीणा वडौदा

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